नई दिल्ली, 3 जुलाई . बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण के बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि इतने कम समय में 8 करोड़ मतदाताओं का पुनरीक्षण असंभव है. उन्होंने आशंका जताई कि इससे करोड़ों गरीब, पिछड़े और प्रवासी मतदाता अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं.
समाचार एजेंसी से खास बातचीत में राजेश राम ने कहा कि आज से 22 साल पहले जब मतदाता सूची का कंप्यूटरीकरण हुआ था, तब से अब तक इतना गहन परीक्षण कभी नहीं हुआ. पहले नागरिकता प्रमाणित करने की आवश्यकता नहीं थी, अब माता-पिता, दादा तक के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं. तीन करोड़ से ज्यादा बिहार के लोग देशभर में काम के लिए पलायन कर चुके हैं. यदि वे तय समय में घर नहीं लौट पाएंगे, तो उनके नाम वोटर लिस्ट में नहीं जुड़ पाएंगे. यह प्रक्रिया भाजपा को सीधा फायदा पहुंचाने के लिए अपनाई गई है.
उन्होंने कहा कि जो लोग वंचित होंगे, वो ज्यादातर गरीब, दलित, पिछड़े वर्ग के लोग हैं. ये लोग परंपरागत रूप से महागठबंधन और इंडिया गठबंधन को वोट देते हैं. भाजपा को इसका सीधा राजनीतिक लाभ होगा. उन्होंने यह भी कहा कि वोटर लिस्ट से नाम कटने का असर न केवल मतदान पर बल्कि पेंशन, जॉब कार्ड और अन्य सरकारी योजनाओं पर भी पड़ेगा. भाजपा जहां फायदा देखती है, वहां आधार अनिवार्य कर देती है. फिर वोटर लिस्ट में आधार लिंक क्यों नहीं मान रही? सब जगह आधार से लिंक कर दिया है, लेकिन वोटिंग के समय इसकी अनदेखी हो रही है.
उन्होंने कहा कि हमने राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में बिहार कांग्रेस को तेजी से पुनर्गठित किया है. जिला अध्यक्षों का पुनर्गठन हुआ है, झंडा यात्रा, संविधान सम्मेलन और ‘हर घर झंडा’ जैसे कार्यक्रम जमीन पर सक्रिय हैं. ‘माई बहिन मान योजना’ जैसी कई योजनाओं के जरिए कांग्रेस महिला और गरीब मतदाताओं के बीच गहरी पकड़ बना रही है. राहुल गांधी ने जो सामाजिक न्याय की लड़ाई शुरू की है, उसमें जातीय जनगणना एक अहम मुद्दा है. ‘जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’, इस सिद्धांत पर हम काम कर रहे हैं.
उन्होंने बिहार चुनाव में सीट शेयरिंग पर बताया कि इंडिया गठबंधन के सभी घटक दलों के बीच ‘सकारात्मक बातचीत’ चल रही है और ज्यादातर मुद्दों को सुलझा लिया गया है. सभी दल एकमत हैं कि यदि हम एकजुट नहीं हुए तो जनता को नुकसान होगा. हम कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं.
उन्होंने महागठबंधन में एआईएमआईएम के शामिल होने की चर्चा पर कहा कि हमारे पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है. मीडिया में जो बातें चल रही हैं, वह कितनी तथ्यात्मक हैं, यह स्पष्ट नहीं है.
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पीएसके/एबीएम
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