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वाराणसी का भारत माता मंदिर : देशभक्ति, इतिहास और आस्था का 100 वर्षीय प्रतीक

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वाराणसी, 13 अगस्त . उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित भारत माता मंदिर देशभक्ति और आस्था का अनोखा संगम है. यह देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां किसी देवी या देवता की मूर्ति नहीं, बल्कि अखंड भारत का भव्य मानचित्र स्थापित है. जैसे ही भक्त इस मंदिर में प्रवेश करते हैं, चारों ओर ‘भारत माता की जय’ के नारे गूंज उठते हैं और वातावरण देशभक्ति से सराबोर हो जाता है.

यह भव्य मानचित्र मकराना संगमरमर के 762 टुकड़ों को जोड़कर बनाया गया है, जो 11 फीट लंबा और चौड़ा है. इस मंदिर का उद्घाटन 25 अक्टूबर 1936 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था. इस अवसर पर अनेक स्वतंत्रता सेनानी भी मौजूद थे.

भारत माता मंदिर के केयरटेकर राजीव ने समाचार एजेंसी को बताया कि भारत माता मंदिर के निर्माण का विचार बाबू शिव प्रसाद गुप्त को 1913 में कराची कांग्रेस अधिवेशन से लौटते समय Mumbai में मिट्टी से बने अखंड भारत के नक्शे को देखकर आया था. उन्होंने 1918 में इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवाया, जो लगभग 6 सालों में पूर्ण हुआ. विशेष बात यह रही कि यह निर्माण अंग्रेजी शासन के दौरान चोरी-छिपे किया गया, ताकि अंग्रेजों को इसकी जानकारी न हो.

मंदिर की देखरेख करने वाले राजीव के मुताबिक, मंदिर के निर्माण में काशी के इंजीनियर दुर्गा प्रसाद खत्री के नेतृत्व में 30 कारीगरों की टीम ने मानचित्र पर काम किया, जबकि 25 लोगों ने मंदिर की संरचना तैयार की. चूंकि यह कार्य ब्रिटिश राज में हो रहा था, इसलिए कारीगर विभिन्न स्थानों पर पत्थरों को काटते थे और फिर उन्हें गुप्त रूप से मंदिर परिसर में लाकर जोड़ा जाता था.

मंदिर में बने अखंड भारत के मानचित्र में नदियां, पहाड़, झीलें, टापू और समुद्र तल से ऊंचाई तक का बारीकी से विवरण उकेरा गया है. इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, बलूचिस्तान, तिब्बत और अरब सागर का भी चित्रण किया गया है, जो इसे एक अद्वितीय ऐतिहासिक धरोहर बनाता है.

मंदिर की देखरेख करने वाले राजीव के अनुसार, यह मंदिर भारत की आजादी से पहले बन चुका था और अब इसे 100 साल से अधिक हो गए हैं.

डीसीएच/

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