मुंबई, 3 मई . भारतीय सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री नरगिस ने ‘बरसात’, ‘अंदाज’, ‘आवारा’, ‘श्री 420’, ‘चोरी-चोरी’, ‘आग’ समेत कई हिट फिल्में दीं लेकिन एक फिल्म ने उनकी जिंदगी की दिशा बदल दी और वो थी ‘मदर इंडिया’. मदर इंडिया का जिक्र छिड़ते ही राधा की आकृति उभर आती है. वो किरदार जो अब भी लोगों के जेहन में जिंदा है. इस फिल्म ने उनके करियर को नया आयाम ही नहीं दिया बल्कि हमसफर भी दिया! ये फिल्म नरगिस के दिल के बेहद करीब थी.
नरगिस का असली नाम फातिमा राशिद था. महज 6 साल की उम्र में उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा और बाल कलाकार के तौर पर 1935 में रिलीज हुई फिल्म ‘तलाशे हक’ में काम किया. इस फिल्म में निर्देशक चिमनलाल लुहार उन्हें ‘बेबी नरगिस’ कहकर बुलाते थे. दरअसल ‘नरगिस’ एक फूल का नाम होता है. अंग्रेजी में इसे डैफोडिल कहते हैं. इस फूल की खासियत यह है कि यह काफी दिनों तक अपनी खुशबू बिखेरता रहता है. इस नाम की तरह एक्ट्रेस जब तक रहीं, उन्होंने अपने हुनर और खूबसूरती से सिर्फ खुशबू ही बिखेरी.
नरगिस ने अपने करियर में 50 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. लेकिन उनकी कुछ फिल्में ऐसी हैं, जो वक्त के साथ धुंधली नहीं पड़ीं. उन्हें देखना लोग आज भी पसंद कर रहे हैं. ऐसी ही एक फिल्म ‘मदर इंडिया’… यह फिल्म नरगिस के दिल के बेहद करीब भी थी, क्योंकि इस फिल्म के सेट से उन्हें अपना प्यार मिला था, यानी सुनील दत्त से मोहब्बत हुई थी.
फिल्म सेट से पहले नरगिस की मुलाकात सुनील दत्त से तब हुई थी, जब वह एक रेडियो स्टेशन में काम करते थे और वह वहां इंटरव्यू देने आई थीं. दूसरी मुलाकात उनकी फिल्म ‘दो बीघा’ के सेट पर हुई थी. तब सुनील दत्त अपने लिए काम की तलाश कर रहे थे. उस वक्त वह उन्हें कुछ खास जानती नहीं थीं. लेकिन साल 1957 में रिलीज हुई फिल्म ‘मदर इंडिया’ ने उनकी किस्मत बदल दी. दरअसल, शूटिंग के दौरान एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसमें सुनील दत्त ने अपने जान पर खेलकर उनकी जान बचाई और यहां से एक नए रिश्ते की शुरुआत हुई.
मशहूर लेखिका किश्वर देसाई की किताब ‘डार्लिंगजी: द ट्रू लव स्टोरी ऑफ नरगिस एंड सुनील दत्त’ के मुताबिक, फिल्म ‘मदर इंडिया’ में एक सीन को शूट करने के लिए सेट पर असली आग लगाई गई थी. यह आग पुआल के ढेर में लगती है, जिसमें नरगिस को कूदना होता है. उन्हें बचाने सुनील दत्त जाते हैं, जो फिल्म में उनके बेटे बने हैं. लेकिन अचानक शूट एक हादसे में बदल जाता है, जब आग बेकाबू हो जाती है और उसकी लपटें नरगिस को छूने लगती हैं. डर के मारे सभी पीछे हटने लगते हैं. लेकिन सुनील दत्त अपनी जान की परवाह किए बिना उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लेते हैं. इस दौरान वह खुद भी बुरी तरह झुलस गए थे.
इस घटना के बाद नरगिस का नजरिया बदल गया और उन्हें सुनील में एक सच्चा जीवनसाथी दिखने लगा. 11 मार्च, 1958 में दोनों ने शादी कर ली.
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पीके/केआर
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