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दिल के ट्रांसप्लांट में 13 घंटे की सर्जरी: 19 वर्षीय युवक को मिला नया जीवन

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दिल के ट्रांसप्लांट की अद्भुत कहानी

दिल का ट्रांसप्लांट एक चिकित्सा चमत्कार है, जिसमें कई विशेषज्ञों की टीम का योगदान होता है। हाल ही में, दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में एक 19 वर्षीय युवक के लिए यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक की गई। डॉक्टरों ने उसके बीमार दिल को हटाकर एक 25 वर्षीय दाता का स्वस्थ दिल ट्रांसप्लांट किया। यह सर्जरी दोपहर 2 बजे शुरू होकर रात 3 बजे तक चली।


आरएमएल अस्पताल की दूसरी सफल हृदय ट्रांसप्लांट सर्जरी

आरएमएल अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पुनीत अग्रवाल ने बताया कि यह अस्पताल की दूसरी सफल हृदय ट्रांसप्लांट सर्जरी थी। मरीज लंबे समय से 'राइट वेंट्रिकल की कार्डियोमायोपैथी' से ग्रसित था, जिसने उसकी जीवनशैली को प्रभावित किया। वह न तो स्कूल जा सका और न ही दोस्तों के साथ खेल सका।


डोनर और ग्रीन कॉरिडोर की भूमिका

7 तारीख को सर गंगाराम अस्पताल से एक स्वस्थ दिल की उपलब्धता की सूचना मिली। दाता एक 25 वर्षीय युवक था, जिसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। उसके अंगों का दान करने के लिए परिवार को तुरंत सूचित किया गया।


दिल को आरएमएल अस्पताल तक पहुंचाने के लिए ट्रैफिक विभाग ने ग्रीन कॉरिडोर बनाया, जो कि समय की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण था।


13 घंटे की लंबी सर्जरी

ऑपरेशन दोपहर 2 बजे शुरू हुआ, जिसमें डॉ. आर.के. नाथ और डॉ. पुनीत अग्रवाल ने ट्रांसप्लांट टीम का नेतृत्व किया। एनेस्थीसिया टीम और ब्लड बैंक की टीम भी इस प्रक्रिया में सक्रिय रही।


सफल ऑपरेशन: नई जिंदगी की शुरुआत

सर्जरी के बाद, मरीज के शरीर में नया दिल धड़कने लगा। डॉक्टरों ने पुष्टि की कि दिल सभी मानकों पर सही काम कर रहा है, जिससे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई।


डॉ. पुनीत अग्रवाल ने कहा, 'हमारा उद्देश्य इस बच्चे को नया जीवन देना था। यह सफल ऑपरेशन हमारी टीम की मेहनत का परिणाम है।'


अंग दान और सरकारी अस्पतालों की क्षमता

यह सर्जरी न केवल चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि यह अंग दान और सरकारी अस्पतालों की क्षमता के प्रति जागरूकता का संदेश भी देती है। इस तरह के प्रयास मरीजों को नया जीवन देने के साथ-साथ समाज में सहयोग की भावना भी बढ़ाते हैं।


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