कचोड़ी, जो हर किसी की पसंदीदा होती है, आमतौर पर लोग इसे दुकानों से खरीदते हैं। लेकिन कुछ लोग इसे घर-घर जाकर भी बेचते हैं। आपने अक्सर कचोड़ी बेचने वाले भैया को साइकिल या मोटरसाइकिल पर आवाज लगाते हुए देखा होगा। आमतौर पर ये विक्रेता हिंदी या अपनी स्थानीय भाषा में कचोड़ी बेचते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे दादाजी से मिलवाने जा रहे हैं, जो अंग्रेजी में कचोड़ी बेचते हैं।
75 वर्षीय गोविंद दादा की मेहनत
यहां मिलिए 75 वर्षीय श्री गोविंद मालवीय से। गोविंद दादा मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के डोंगी गांव के निवासी हैं, लेकिन वर्तमान में इंदौर में कचोड़ी बेचते हैं। वे अपनी साइकिल पर इंदौर के मूसाखेड़ी क्षेत्र में कचोड़ी बेचने का काम पिछले 45 वर्षों से कर रहे हैं।
गोविंद दादा अपनी पत्नी के साथ मिलकर गली-गली कचोड़ी बेचते हैं। हालांकि, अब उन्हें यह काम करने में रुचि नहीं रह गई है। कोरोना महामारी के बाद उनके ग्राहकों की संख्या में कमी आई है और मुनाफा भी कम हो गया है। लेकिन उनके पास कोई संतान नहीं होने के कारण, वे इसी काम से अपना जीवन यापन कर रहे हैं। इसके अलावा, उनका मानना है कि साइकिल चलाने से उनकी सेहत भी ठीक रहती है।
अंग्रेजी में कचोड़ी बेचने की अनोखी शैली
गोविंद दादा कचोड़ी बेचते समय फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं। वे बताते हैं कि पहले वे हिंदी में ही कचोड़ी बेचा करते थे, लेकिन समय के साथ बदलाव आया है। अब बच्चे अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई कर रहे हैं, इसलिए उन्होंने एक-दो बार अंग्रेजी में बोलने की कोशिश की। इसके बाद लोगों ने कहा कि दादा, आप अंग्रेजी बोलते हुए बहुत प्यारे लगते हैं। तब से वे अंग्रेजी में ही कचोड़ी बेचने लगे।
गोविंद दादा ने पहले गांव से अनाज लेकर भोपाल में बेचा, लेकिन वहां उन्हें नुकसान हुआ। इसके बाद वे इंदौर आए, जहां एक सेठजी ने उन्हें सलाह दी कि नौकरी करने के बजाय खुद का व्यवसाय करें। तब से उन्होंने कचोड़ी बेचना शुरू किया। पहले वे 1 रुपए में एक कचोड़ी बेचते थे, लेकिन अब महंगाई के कारण यह कीमत 10 रुपए हो गई है।
दादा की कहानी का असर
अंग्रेजी में कचोड़ी बेचने वाले दादा की यह कहानी आमची इंदौर नामक एक यूट्यूब चैनल पर साझा की गई है। लोग इस कहानी को बहुत पसंद कर रहे हैं और भावुक होकर दादा की मदद की पेशकश कर रहे हैं। आमची इंदौर ने भी लोगों से अनुरोध किया है कि वे दादा को शादी या पार्टी के ऑर्डर दें, ताकि वे घर पर रहकर कमाई कर सकें और उन्हें गली-गली घूमने की आवश्यकता न पड़े।
यहां देखें अंग्रेजी में कचोड़ी बेचने वाले दादा
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