अगर आप कुछ सालों के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद डेट फंड्स में निवेश करना चाहते हैं, तो बैंकिंग और पीएसयू डेट फंड्स एक अच्छा ऑप्शन हो सकते हैं. इन फंड्स का कम से कम 80% पैसा बैंकों, पब्लिक सेक्टर की कंपनियों और सरकारी फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन्स की सिक्योरिटीज में लगाया जाता है.
म्यूचुअल फंड एक्सपर्ट्स इन फंड्स को ‘रिलेटिवली सेफ’ इसलिए कहते हैं क्योंकि ये फंड्स सिर्फ उन्हीं कंपनियों के बॉन्ड्स में निवेश करते हैं, जो सरकार के साथ जुड़ी होती हैं. इसलिए इनमें क्रेडिट रिस्क काफी कम होता है और आपका पैसा ज्यादा सुरक्षित माना जाता है.
डेट फंड्स पूरी तरह से रिस्क फ्री नहीं
ये मतलब बिल्कुल ना समझें कि डेट फंड्स में कोई जोखिम नहीं होता है. ये फंड कुछ पैसे प्राइवेट बैंकों के कर्ज वाले कागजों में भी लगाते हैं, जो सरकार से जुड़े नहीं होते. इसलिए थोड़ा बहुत जोखिम तो रहता ही है. हालांकि, बैंकों पर कड़ी निगरानी होती है, इसलिए ये जोखिम बहुत कम होता है. इसके साथ ही, ब्याज दरों में बदलाव का भी असर पड़ता है. जब ब्याज दरें बढ़ती हैं या ज्यादा दिन तक स्टेवल रहती हैं, तो डेट फंड्स के लिए अच्छा नहीं होता.
अगर आप तीन साल के लिए निवेश करना चाहते हैं और इन फंड्स के जोखिम को समझते हैं, तो बैंकिंग और पीएसयू डेट फंड्स आपके लिए ठीक रहेंगे. उदाहरण के तौर पर, डीएसपी बैंकिंग एंड पीएसयू डेट फंड पिछले महीने अच्छा परफॉर्म करने वाले ग्रुप में था. वहीं, एक्सिस बैंकिंग एंड पीएसयू डेट फंड कुछ महीनों से थोड़ा पीछे है, लेकिन फिर भी बेहतर स्थिति में है.
जुलाई 2025 में निवेश करने के लिए बेस्ट बैंकिंग और PSU डेट फंड्स
1) औसत रॉलिंग रि टर्न्स: हमने हर दिन का रिटर्न निकाला और उसे पिछले तीन साल के लिए लगातार देखा. इससे पता चलता है कि फंड ने नियमित रूप से कैसा परफॉर्म किया है.
फंड की कंसिस्टेंसी : फंड कितनी स्थिरता से रिटर्न दे रहा है, ये जानने के लिए Hurst Exponent (H) का इस्तेमाल किया गया.
3) बेहतर परफॉर्मेंस की जांच : फंड ने अपने बेंचमार्क (समान तुलना वाली स्कीम) के मुकाबले कैसा परफॉर्म किया, इसे देखा गया. रोजाना के रिटर्न्स की मदद से फंड और बेंचमार्क दोनों का औसत निकाला गया. फिर दोनों की तुलना कर के एक्टिव रिटर्न देखा गया यानी फंड ने बेंचमार्क से कितना ज्यादा या कम कमाया.
4) एसेट साइज : सिर्फ उन्हीं डेट फंड्स को चुना गया जिनके पास कम से कम ₹50 करोड़ की संपत्ति हो. इससे यह सुनिश्चित होता है कि फंड बहुत छोटा न हो और उसमें निवेशकों का भरोसा हो.
डिस्क्लेमर : यह केवल नॉर्मल जानकारी है. सभी का निवेश का लक्ष्य अलग-अलग होता है, उसी के हिसाब से निवेश करें.
म्यूचुअल फंड एक्सपर्ट्स इन फंड्स को ‘रिलेटिवली सेफ’ इसलिए कहते हैं क्योंकि ये फंड्स सिर्फ उन्हीं कंपनियों के बॉन्ड्स में निवेश करते हैं, जो सरकार के साथ जुड़ी होती हैं. इसलिए इनमें क्रेडिट रिस्क काफी कम होता है और आपका पैसा ज्यादा सुरक्षित माना जाता है.
डेट फंड्स पूरी तरह से रिस्क फ्री नहीं
ये मतलब बिल्कुल ना समझें कि डेट फंड्स में कोई जोखिम नहीं होता है. ये फंड कुछ पैसे प्राइवेट बैंकों के कर्ज वाले कागजों में भी लगाते हैं, जो सरकार से जुड़े नहीं होते. इसलिए थोड़ा बहुत जोखिम तो रहता ही है. हालांकि, बैंकों पर कड़ी निगरानी होती है, इसलिए ये जोखिम बहुत कम होता है. इसके साथ ही, ब्याज दरों में बदलाव का भी असर पड़ता है. जब ब्याज दरें बढ़ती हैं या ज्यादा दिन तक स्टेवल रहती हैं, तो डेट फंड्स के लिए अच्छा नहीं होता.
अगर आप तीन साल के लिए निवेश करना चाहते हैं और इन फंड्स के जोखिम को समझते हैं, तो बैंकिंग और पीएसयू डेट फंड्स आपके लिए ठीक रहेंगे. उदाहरण के तौर पर, डीएसपी बैंकिंग एंड पीएसयू डेट फंड पिछले महीने अच्छा परफॉर्म करने वाले ग्रुप में था. वहीं, एक्सिस बैंकिंग एंड पीएसयू डेट फंड कुछ महीनों से थोड़ा पीछे है, लेकिन फिर भी बेहतर स्थिति में है.
जुलाई 2025 में निवेश करने के लिए बेस्ट बैंकिंग और PSU डेट फंड्स
- बंधन बैंकिंग और PSU डेट फंड
- एक्सिस बैंकिंग एंड PSU डेट फंड
- आदित्य बिड़ला सन लाइफ बैंकिंग और PSU डेट फंड
- डीएसपी बैंकिंग और PSU डेट फंड
- कोटक बैंकिंग और PSU डेट फंड
1) औसत रॉलिंग रि टर्न्स: हमने हर दिन का रिटर्न निकाला और उसे पिछले तीन साल के लिए लगातार देखा. इससे पता चलता है कि फंड ने नियमित रूप से कैसा परफॉर्म किया है.
फंड की कंसिस्टेंसी : फंड कितनी स्थिरता से रिटर्न दे रहा है, ये जानने के लिए Hurst Exponent (H) का इस्तेमाल किया गया.
- अगर H = 0.5 होता है, तो फंड का रिटर्न पूरी तरह से अनियमित होता है, और उसे समझना या भविष्यवाणी करना मुश्किल होता है.
- अगर H < 0.5 होता है, तो फंड के रिटर्न्स अपने औसत पर लौटते हैं (मतलब बहुत ऊपर या नीचे नहीं जाते).
- अगर H > 0.5 होता है, तो इसका मतलब फंड का रिटर्न एक दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है. H जितना बड़ा, रिटर्न उतना स्थिर और ट्रेंडिंग माना जाता है.
3) बेहतर परफॉर्मेंस की जांच : फंड ने अपने बेंचमार्क (समान तुलना वाली स्कीम) के मुकाबले कैसा परफॉर्म किया, इसे देखा गया. रोजाना के रिटर्न्स की मदद से फंड और बेंचमार्क दोनों का औसत निकाला गया. फिर दोनों की तुलना कर के एक्टिव रिटर्न देखा गया यानी फंड ने बेंचमार्क से कितना ज्यादा या कम कमाया.
4) एसेट साइज : सिर्फ उन्हीं डेट फंड्स को चुना गया जिनके पास कम से कम ₹50 करोड़ की संपत्ति हो. इससे यह सुनिश्चित होता है कि फंड बहुत छोटा न हो और उसमें निवेशकों का भरोसा हो.
डिस्क्लेमर : यह केवल नॉर्मल जानकारी है. सभी का निवेश का लक्ष्य अलग-अलग होता है, उसी के हिसाब से निवेश करें.
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