नई दिल्ली: वर्ष 2025-26 की पहली छमाही अप्रैल-सितंबर में भारत के इम्पोर्ट में तेज़ी देखी गई है। इस पीरियड में देश ने $375.11 अरब का सामान इम्पोर्ट किया जो पिछले वर्ष के $358.85 अरब की तुलना में ज़्यादा है। यह वृद्धि देश में मजबूत घरेलू मांग, तेज़ होती मैन्युफैक्चरिंग और कुछ प्रमुख वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी को दिखाता है।
कौन बना सबसे बड़ा सप्लायरइस साल की पहली छमाही में मेइनलैंड चाइना भारत का सबसे बड़ा इम्पोर्ट सोर्स बना जहाँ से $62.89 अरब का सामान मंगवाया गया। अगर पिछले साल की तुलना करें तो ये 11.2% ज़्यादा है। UAE $33.03 अरब के साथ दूसरे स्थान पर रहा और इससे इम्पोर्ट में 13.2% की वृद्धि दर्ज की गई है। एक अधिकारी के मुताबिक UAE से इम्पोर्ट में बढ़ोतरी की वजह भारत-यूएई के बीच ट्रेड एग्रीमेंट बताया गया है। रूस तीसरा सबसे बड़ा आयात स्रोत बना रहा हालांकि वहां से इम्पोर्ट में 7.4% की गिरावट आई और यह $31.12 अरब रहा है।
जबरदस्त उछाल
खास उत्पादों के स्तर पर देखें तो इलेक्ट्रॉनिक्स इम्पोर्ट्स में 16.78%, और मशीनरी इम्पोर्ट्स में 13.7% की बढ़ोतरी हुई है। सिल्वर इम्पोर्ट्स में सबसे तेज़ उछाल देखने को मिला जो 56% बढ़कर $3.2 अरब तक पहुंच गया। सिल्वर का इस्तेमाल हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर पैनल्स और बैटरी में होता है। बता दे कि सिर्फ सितंबर महीने में ही $68.5 अरब का इम्पोर्ट हुआ जिसमें गोल्ड, सिल्वर, फर्टिलाइजर और इलेक्ट्रॉनिक्स की बड़ी हिस्सेदारी रही।
ट्रेड डेफिसिट बढ़ा
मेइनलैंड चाइना के साथ भारत का ट्रेड डेफिसिट बढ़कर $54.4 अरब हो गया है जो पिछले साल इसी अवधि में $49.6 अरब था। वहीं नॉन-पेट्रोलियम इम्पोर्ट्स और नॉन-जेम्स इम्पोर्ट्स जो घरेलू मांग का संकेत देते हैं वो भी 8.2% बढ़कर $243.58 अरब हो गया है। भारत के अन्य प्रमुख इम्पोर्ट स्रोतों में यूएस, सऊदी अरब, इराक, हांगकांग और सिंगापुर शामिल रहे है हालांकि इराक से इम्पोर्ट में गिरावट दर्ज की गई है। सरकारी अधिकारियों के अनुसार, हम डेटा की बारीकी से जांच कर रहे हैं। आपको बता दे इम्पोर्ट में यह बढ़त घरेलू उत्पादन, ऊंची कमोडिटी प्राइसेज और राइजिंग इनपुट कॉस्ट्स के कारण हुई है।
कौन बना सबसे बड़ा सप्लायरइस साल की पहली छमाही में मेइनलैंड चाइना भारत का सबसे बड़ा इम्पोर्ट सोर्स बना जहाँ से $62.89 अरब का सामान मंगवाया गया। अगर पिछले साल की तुलना करें तो ये 11.2% ज़्यादा है। UAE $33.03 अरब के साथ दूसरे स्थान पर रहा और इससे इम्पोर्ट में 13.2% की वृद्धि दर्ज की गई है। एक अधिकारी के मुताबिक UAE से इम्पोर्ट में बढ़ोतरी की वजह भारत-यूएई के बीच ट्रेड एग्रीमेंट बताया गया है। रूस तीसरा सबसे बड़ा आयात स्रोत बना रहा हालांकि वहां से इम्पोर्ट में 7.4% की गिरावट आई और यह $31.12 अरब रहा है।
जबरदस्त उछाल
खास उत्पादों के स्तर पर देखें तो इलेक्ट्रॉनिक्स इम्पोर्ट्स में 16.78%, और मशीनरी इम्पोर्ट्स में 13.7% की बढ़ोतरी हुई है। सिल्वर इम्पोर्ट्स में सबसे तेज़ उछाल देखने को मिला जो 56% बढ़कर $3.2 अरब तक पहुंच गया। सिल्वर का इस्तेमाल हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर पैनल्स और बैटरी में होता है। बता दे कि सिर्फ सितंबर महीने में ही $68.5 अरब का इम्पोर्ट हुआ जिसमें गोल्ड, सिल्वर, फर्टिलाइजर और इलेक्ट्रॉनिक्स की बड़ी हिस्सेदारी रही।
ट्रेड डेफिसिट बढ़ा
मेइनलैंड चाइना के साथ भारत का ट्रेड डेफिसिट बढ़कर $54.4 अरब हो गया है जो पिछले साल इसी अवधि में $49.6 अरब था। वहीं नॉन-पेट्रोलियम इम्पोर्ट्स और नॉन-जेम्स इम्पोर्ट्स जो घरेलू मांग का संकेत देते हैं वो भी 8.2% बढ़कर $243.58 अरब हो गया है। भारत के अन्य प्रमुख इम्पोर्ट स्रोतों में यूएस, सऊदी अरब, इराक, हांगकांग और सिंगापुर शामिल रहे है हालांकि इराक से इम्पोर्ट में गिरावट दर्ज की गई है। सरकारी अधिकारियों के अनुसार, हम डेटा की बारीकी से जांच कर रहे हैं। आपको बता दे इम्पोर्ट में यह बढ़त घरेलू उत्पादन, ऊंची कमोडिटी प्राइसेज और राइजिंग इनपुट कॉस्ट्स के कारण हुई है।
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