उत्तर-पूर्वी दिल्ली के अशोक नगर इलाक़े की एक छत जो अब क्राइम सीन बन गई है. जिसकी बाउंड्री पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है ' 5th फ़्लोर इन्सिडेंट एरिया'.
इस बाउंड्री से ठीक नीचे झांकने पर आपको गहराई साफ़ नज़र आती है. और साथ ही नज़र आता है ईंटों का एक बेतरबीत ढेर.
जिस पर कोई गिरा तो शायद ही बच पाए.
और नेहा को भी बचाया नहीं जा सका. वो महज़ 19 साल की थीं.
मृतका के परिवार का आरोप है कि, तौफ़ीक़ नाम के शख़्स ने 23 जून की सुबह नेहा को पांचवीं मंज़िल की छत से नीचे धक्का दे दिया. जिसके बाद उन्हें पास के जीटीबी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वो बचाई नहीं जा सकीं.
तौफ़ीक़, जिन पर नेहा को छत से धक्का देने का आरोप है, उन्हें पुलिस ने चौबीस घंटे के भीतर उत्तर प्रदेश के रामपुर ज़िले के टांडा स्थित उनके घर से गिरफ़्तार कर लिया.
हालाँकि तौफ़ीक़ के भाई ने बीबीसी से बातचीत में दावा किया कि उनका भाई 'बेकसूर' है.
तौफ़ीक़ फ़िलहाल पुलिस की हिरासत में हैं और मामले की जांच जारी है.
लेकिन इस घटना के इर्द-गिर्द कई दावे सामने आए हैं.
इन दावों की असल सच्चाई क्या है, इसका पता तो पुलिस की जांच के बाद ही लग पाएगा.
मगर इस वाक़ये ने आस-पास के इलाक़ों और ख़ासकर नेहा के परिवार पर कैसा असर छोड़ा है, इसे समझने के लिए बीबीसी की टीम जब घटना के दो दिन बाद नेहा के घर पहुंची तो बाहर मीडिया के कैमरे, हिंदूवादी संगठनों की मौजूदगी और दिल्ली पुलिस के जवानों की भारी तैनाती नज़र आई.
जिस पांच मंज़िला इमारत का ज़िक्र हमने शुरू में किया, उसी की पहली मंज़िल पर नेहा का परिवार रहता है.
दो छोटे-छोटे कमरों में सात लोगों का परिवार (जो अब छह लोगों का ही रह गया है) रहता है. पड़ोसियों और नाते-रिश्तेदारों की भीड़ के कारण हमें इमारत के नीचे ही इंतज़ार करने को कहा गया.
थोड़ी देर में नेहा की बड़ी बहन मीनाक्षी हमसे बात करने पहुंचीं.
वह कहती हैं कि उनके लिए अब भी ये यक़ीन कर पाना मुश्किल है कि उनकी बहन अब इस दुनिया में नहीं रही.
'वो वेब डिज़ाइनर बनना चाहती थी'मीनाक्षी बताती हैं कि नेहा सात भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थीं. उन्होंने पिछले साल ही बारहवीं की परीक्षा पास की थी. वह आगे अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थी, लेकिन घर की माली हालत आड़े आ गई.
पिता लक्ष्मी नगर में गार्ड की नौकरी करते थे लेकिन फिर बीते साल उनकी नौकरी चली गई.
नेहा ने तय किया कि वह घर चलाने में मदद करेंगी. उन्होंने एक साड़ी की दुकान पर काम करना शुरू किया. पिछले साल दीवाली तक वह वहीं काम करती रहीं.
अपने कमाए पैसे से वह कंप्यूटर की क्लास भी करती थीं.
फिर उनकी नौकरी एक निजी कंपनी में लग गई.
मीनाक्षी के मुताबिक़, घर में पैसों का सबसे ज़्यादा योगदान नेहा ही करती थी. वह अच्छी अंग्रेज़ी जानती थी.
वह कहती हैं, ''नेहा को आगे चलकर वेब डिज़ाइनर बनना था. लेकिन किसे पता था कि अगले पांच महीने में वह हमारे बीच नहीं होगी.''
मीनाक्षी ये कहते हुए रोने लगती हैं कि उनकी बहन तो चली गई पर उसकी आख़िरी चीख़ें अब भी उनके कानों में गूंज रही हैं.

नेहा के परिवार का दावा है कि जब नेहा को छत से नीचे धक्का दिया गया तो उनके पिता, सुरेंद्र यादव वहीं मौजूद थे.
नेहा के परिवार (नेहा की मां और उनकी बहन से बातचीत) ने बताया, 'नेहा छत पर रखी वॉशिंग मशीन में कपड़े धोने गई थीं. थोड़ी देर में उन्होंने अपने पिता से कहा कि मशीन में पानी नहीं आ रहा. उनके पिता छत पर आए. उन्होंने देखा कि बुर्का पहने तौफ़ीक़ नेहा के साथ हाथापाई कर रहा है.'
"वह (पिता) नेहा को छुड़ाने आगे बढ़े तो तौफ़ीक़ ने उन्हें पीछे की तरफ़ धकेल दिया. वो उठते कि इतनी देर में तौफ़ीक़ ने उनकी आंखों के सामने ही उनकी बेटी को छत से नीचे फेंक दिया."
इस मामले में हमने नेहा के पिता से बात करने की कोशिश की, लेकिन बताया गया कि वह बेसुध अवस्था में पड़े थे. परिवारवालों ने कहा कि वह अभी नेहा की अस्थियां विसर्जित करके लौटे हैं और बात करने की स्थिति में नहीं हैं.
जिसके बाद मीनाक्षी ने ही हमें घटना के दिन का ब्योरा दिया.
मीनाक्षी के मुताबिक़, वह घर में थीं, जब पड़ोस के एक शख़्स ने उन्हें बताया कि उनकी बहन को किसी ने छत से नीचे धक्का दे दिया है.
वह दौड़ते हुए नीचे गईं. नेहा ईंटों के ढेर के बीच गिरी हुई थी.
मीनाक्षी बताती हैं, ''हम उसे बगल के जीटीबी अस्पताल ले गए. पूरे रास्ते वो दर्द में चीख़ती रही. अस्पताल पहुंचने पर वह मुझसे बार-बार पानी मांगती रही. उसका गला इतना सूख रहा था कि वह अपने हाथों में लगे ग्लूकोज़ की पाइप को मुंह से काटने की कोशिश कर रही थी. हम महसूस कर पा रहे थे कि वह अपनी तरफ़ से ख़ुद को ज़िंदा रखने की जंग लड़ रही है. वह मम्मी-पापा से कहती रही कि उसे बचा लें, पर हम उसे बचा नहीं पाए.''
इस घटना की ख़बर जैसे ही इलाक़े में फैली, बजरंग दल जैसे हिंदूवादी संगठन नेहा के परिवार को सांत्वना देने पहुंचने लगे.
कई लोग नेहा की शवयात्रा में भी शामिल हुए.
शवयात्रा से जुड़े जो वीडियो सोशल मीडिया पर मौजूद हैं, उनमें कई तरह के आक्रामक नारे लगाए जा रहे हैं.
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इस घटना का आरोप जिस शख़्स पर है, कहा जा रहा है कि उसके नेहा के परिवार से क़रीबी रिश्ते रहे हैं. बीते तीन सालों से तौफ़ीक़ का नेहा के घर आना-जाना था.
मीनाक्षी कहती हैं, ''वह हमारे घर के सदस्य जैसा था. हमारे दो छोटे भाई ही हैं इसलिए हम बहनें उसे अपने बड़े भाई की तरह मानती थीं और मेरी मां उसे अपने बेटे की तरह."
मीनाक्षी का आरोप है, "लेकिन फिर उसने नेहा पर बुरी नज़र डालनी शुरू कर दी. वह उस पर शादी के लिए दबाव डालता.''
''नेहा ने अपना फ़ोन नंबर बदल लिया, तो वह उसके ऑफ़िस में भी कॉल कर देता. ऑफ़िस वालों ने उसे एक बार चेताया भी कि अगर नेहा उससे बात नहीं करना चाहती तो वह उसे क्यों परेशान करता है. पर इसके बावजूद उसकी धमकियां बंद नहीं हुईं. उसने नेहा से कहा था कि अगर उसने उससे शादी नहीं की तो वह उसे कहीं का नहीं छोड़ेगा.''
मीनाक्षी कहती हैं, "नेहा तौफ़ीक़ की इन धमकियों के बारे में मां को बता चुकी थी. मां ने अपने स्तर पर तौफ़ीक़ को समझाने की भी कोशिश की. लेकिन वो कुछ ऐसा कर गुज़रेगा, हमारे लिए विश्वास कर पाना मुश्किल है. ''

वहीं नेहा की मां कांता आरोप लगाती हैं, ''उसने हमारे विश्वास का ये सिला दिया कि आज हमारी लड़की को मार दिया. मैंने उसे समझाया था कि हमारे यहां ऐसा नहीं होता, जब नेहा ने तुझे राखी बांधी हुई है तो शादी कैसे हो सकती है. शादी इसलिए भी नहीं हो सकती क्योंकि तू अलग धर्म का है. लेकिन उसने मेरी बेटी को मार दिया.''
उनकी मांग है कि 'तौफ़ीक़ को भी वैसी ही मौत मिले जैसे उसने उनकी बेटी को दी.'
आस-पड़ोस के कई लोगों ने भी बताया कि तौफ़ीक़ का अक्सर नेहा के घर आना-जाना होता था.
नेहा का परिवार अशोक नगर के जिस इलाक़े में रहता है, वहां ज़्यादातर घर हिंदू समुदाय के हैं.
23 जून की घटना के बाद यहां रहने वाले ज़्यादातर लोग इस घटना की चर्चा कर रहे हैं. बातें इसे सांप्रदायिक एंगल देने की कोशिशों की भी हो रही हैं.
जबकि कहानी का एक दूसरा पहलू भी है.
रिलेशनशिप में थे नेहा और तौफ़ीक़?
एक तरफ़ जहां नेहा के परिवार का दावा है कि नेहा तौफ़ीक़ को अपना भाई मानती थी, वहीं दूसरी तरफ़ अभियुक्त तौफ़ीक़ के परिवार ने दावा किया है कि दोनों बीते कई सालों से रिलेशनशिप में थे.
तौफ़ीक़ मूलत: यूपी में रामपुर के टांडा के रहने वाले हैं. तौफ़ीक के पिता की मौत हो चुकी है और मां लंबे समय से बीमार चल रही हैं.
तौफ़ीक़ दस भाई-बहन हैं. उनका भाई नज़ीम उनके साथ शाहदरा में ही काम करता था.
हमने उनके भाई नज़ीम से फ़ोन पर बात की. उन्होंने हमें बताया कि वह तौफ़ीक़ के साथ शाहदरा में ही मज़दूरी करते थे.
उनका दावा है कि उनका भाई यानी तौफ़ीक़ बेकसूर है.
ये पूछने पर कि तौफ़ीक़ घटना वाले दिन वहां क्या कर रहे थे, नज़ीम दावा करते हैं, ''तौफ़ीक़ बीते कई सालों से उस घर में आया जाया करता था. उसके बहुत दोस्ताना रिश्ते थे. वह नेहा से प्यार करता था. नेहा और मेरा भाई रिलेशनशिप में थे. भाई-बहन जैसा कोई रिश्ता नहीं था."
नज़ीम का दावा है, "मेरा भाई उसके परिवार की आर्थिक मदद भी करता था. लेकिन एक समय के बाद नेहा मेरे भाई पर शादी का दबाव बनाने लगी. वह शादी के लिए तैयार नहीं था क्योंकि हम मुस्लिम हैं और वह हिंदू. यही कारण है कि जब वह रमज़ान में घर आया तो फिर कई महीनों तक दिल्ली नहीं लौटा. लेकिन घर में काम लगा था और पैसे की ज़रूरत थी. उसने क़रीब 60 हज़ार रुपये नेहा की मां को दिए हुए थे. वह उन्हें वापस लेने नेहा के घर गया हुआ था.''
तौफ़ीक़ के भाई नज़ीम का दावा है कि नेहा का परिवार इन पैसों को लौटाने को तैयार नहीं था.
नज़ीम ने कहा कि घटना के बारे में उनकी तौफ़ीक़ से बात हुई थी. इस बातचीत का हवाला देते हुए वह दावा करते हैं, ''नेहा की मां ने तौफ़ीक़ को छत पर भेजा, जहां नेहा के पिता उसके साथ ज़ोर-ज़बरदस्ती करने लगे. वह तौफ़ीक़ को नीचे गिराना चाहते थे, पर नेहा बीच में आ गई और तौफ़ीक़ ख़ुद की जान बचाने के लिए वहां से भाग निकला.''
नज़ीम के मुताबिक तौफ़ीक़ घटना वाले दिन ही अपने गांव वापस लौट आया था. पुलिस ने उसे 24 तारीख़ को टांडा स्थित उसके घर से गिरफ़्तार किया.
पुलिस ने अब तक क्या कहा?
ये मामला दिल्ली के ज्योति नगर थाने का है. पुलिस के मुताबिक़, अभियुक्त के ख़िलाफ़ भारतीय न्याय संहिता की धारा 103 (हत्या) के तहत केस दर्ज हो चुका है.
डीसीपी (नॉर्थ ईस्ट) आशीष मिश्रा ने बीबीसी से बातचीत में केवल इतना कहा है कि मामले की जांच जारी है.
वहीं अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में एडिशनल डीसीपी गौरव गुप्ता ने कहा है, ''नेहा और तौफ़ीक़ लंबे समय से एक-दूसरे को जानते थे. लेकिन बीते कुछ महीनों से उसने तौफ़ीक़ से बातचीत बंद की हुई थी. तौफ़ीक़ को जब ऐसा सुनने में आया कि नेहा का परिवार उसकी शादी किसी और से करवाने जा रहा है, तो वह 23 जून की सुबह उससे मिलने पहुंचा. उसने बुर्क़ा पहना हुआ था. दोनों में शादी को लेकर तीख़ी बहस हुई जिसके बाद तौफ़ीक़ ने उसे नीचे धक्का दे दिया.''
हालांकि इस बयान की पुष्टि के लिए हमने डीसीपी आशीष मिश्रा से लेकर एडिशनल डीसीपी गौरव गुप्ता, केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफ़िसर और ज्योति नगर थाने के एडिशनल एसएचओ नवीन कुमार से संपर्क करने की काफ़ी कोशिश की, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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