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ईरान और इसराइल के बीच युद्ध विराम पर एक हफ़्ते बाद जी-7 ने की ये मांग

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image Reuters जी-7 देशों ने ईरान के साथ परमाणु कार्यक्रम पर फिर से वार्ता शुरू करने की अपील की है

जी-7 देशों के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि वे इसराइल और ईरान के बीच युद्ध विराम का समर्थन करते हैं.

24 जून को युद्ध विराम की घोषणा के तक़रीबन एक हफ़्ते बाद मंगलवार को ये बयान जारी किया गया है.

जी-7 देशों ने अपने संयुक्त बयान में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर समझौते तक पहुंचने के लिए वार्ता को फिर से शुरू करने की अपील भी की है.

अप्रैल से ईरान और अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के लिए एक नया कूटनीतिक समाधान खोजने के लिए वार्ता शुरू की थी.

जी-7 देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा, "हम बातचीत को फिर से शुरू करने की अपील करते हैं. हम चाहते हैं कि ये बातचीत ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर एक टिकाऊ समझौते की ओर आगे बढ़े."

जी-7 के विदेश मंत्रियों ने ये भी कहा कि किसी पक्ष को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे मध्य-पूर्व में अस्थिरता पैदा हो.

लेकिन ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराग़ची ने अमेरिका में बीबीसी के सहयोगी सीबीएस से बात करते हुए कहा कि उनका मानना है ईरान और अमेरिका के बीच निकट भविष्य में बातचीत शुरू होने की संभावना नहीं है.

उन्होंने कहा कि ईरान के साथ बातचीत के लिए अमेरिका को ये सुनिश्चित करना होगा कि वह वार्ता के दौरान कोई और सैन्य हमला नहीं करेगा.

ईरान ने वार्ता के लिए रखी है ये शर्त image Getty Images ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराग़ची ने कहा है कि वार्ता के रास्ते खुले हुए हैं

सोमवार को सीबीएस पर टेलीकास्ट हुए इंटरव्यू में ईरान के विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि ईरान यूरेनियम संवर्धन के अपने अधिकार से पीछे नहीं हटेगा.

हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि ईरान बातचीत और कूटनीति के दरवाज़े कभी बंद नहीं करेगा.

ईरान की परमाणु सुविधाओं के बाद ईरान के विदेश मंत्री और अमेरिकी मीडिया संस्थान के बीच यह पहली बातचीत थी. इस बातचीत में अब्बास अराग़ची ने ईरान और अमेरिका के बीच वार्ता शुरू होने के बारे में बात की है.

वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के दिनों में ईरान के साथ दोबारा वार्ता शुरू करने के कई बार संकेत दिए हैं.

हालांकि उन्होंने ये भी साफ़ किया है कि अभी तक ईरान और अमेरिका के बीच वार्ता शुरू नहीं हुई है और वह ये भी नहीं बता सकते हैं कि वार्ता कब शुरू होगी.

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अब्बास अराग़ची ने इंटरव्यू में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर भी प्रतिक्रिया दी है जिसमें उन्होंने कहा कि ईरान की परमाणु सुविधाओं को नष्ट करने का अमेरिकी ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा.

अब्बास अराग़ची ने कहा, "कोई भी बमबारी के माध्यम से संवर्धन तकनीक और ज्ञान को ख़त्म नहीं कर सकता है. अगर हम चाहते हैं और इस क्षेत्र में फिर से आगे बढ़ने का इरादा रखते हैं तो हम जल्दी से मरम्मत कर सकते हैं और नुक़सान की भरपाई कर सकते हैं."

इस इंटरव्यू में अब्बास अराग़ची से सवाल किया गया कि क्या ईरान फिर से यूरेनियम संवर्धन का इरादा रखता है?

इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम हमारे लिए राष्ट्रीय गौरव और सम्मान की बात बन गया है. हमने 12 दिन तक चले युद्ध के दौरान बहुत कुछ झेला है. इसलिए हमारे लोग आसानी से संवर्धन का अधिकार नहीं छोड़ेंगे."

दुनिया के कुछ ताक़तवर देशों के साथ 2015 में हुए परमाणु समझौते के तहत ईरान को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की देख-रेख में नागरिक उद्देश्यों के लिए यूरेनियम को समृद्ध करने का अधिकार है. ईरान ने हमेशा कहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है.

लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने पहले कार्यकाल के दौरान इस समझौते से पीछे हट गए थे. उन्होंने बार-बार कहा है कि ईरान के पास परमाणु हथियार रखने का कोई अधिकार नहीं है.

हाल के हफ़्तों में ट्रंप ने ईरान से यूरेनियम संवर्धन को पूरी तरह से रोकने के लिए कहा है.

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बगाई ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हमने यूरोप के साथ बातचीत के लिए अभी कोई तारीख़ तय नहीं की है."

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से कुछ समय पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कहा था कि वह ईरान के साथ न तो कोई बातचीत कर रहे हैं और न ही कोई रियायत दे रहे हैं.

ट्रंप ने ये भी दोहराया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से नष्ट हो चुका है.

क़ायम है ये सवाल image BBC ईरान के उप विदेश मंत्री माजिद तख़्त रवांची ने भी कहा है कि अभी अमेरिका के साथ वार्ता शुरू नहीं हुई है

इस्माइल बगाई ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "ईरान और यूरोप के बीच संपर्क जारी है. रविवार को ईरान के राष्ट्रपति ने फ्रांस के राष्ट्रपति से बात की. लेकिन यूरोप के साथ अगली बातचीत कब होगी ये अभी साफ़ नहीं है."

उन्होंने कहा, "यूरोपीय देशों के साथ हमारे कूटनीतिक संबंध हैं. लेकिन सवाल ये है कि वार्ता कब और किस रूप में जारी रहेगी. ये एक ऐसा मुद्दा है जिस पर विचार किया जा रहा है और हम अभी तक अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं."

इस्माइल बगाई ने ईरान के ख़िलाफ़ हमलों पर जर्मनी और फ्रांस के स्टैंड को 'अस्वीकार्य' बताया. इसराइल-ईरान के बीच जंग के दौरान फ्रांस ने कहा कि इसराइल को ख़ुद की रक्षा करने का अधिकार है.

वहीं जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्त्स ने ईरान पर हमलों के लिए इसराइल को शुक्रिया कहा था. हालांकि उनके बयान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई.

फ्रेडरिक मर्त्स ने कहा था, "उन्होंने (इसराइल) हम सभी के लिए मुश्किल और गंदा काम किया है."

इस्माइल बगाई ने कहा, "ये साफ़ हमले को गंदा काम कहना, जर्मनी को हमेशा शर्मिंदगी देगा."

उन्होंने कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि जर्मन चांसलर उसी भाषा का इस्तेमाल करेंगे जिसका इस्तेमाल हिटलर के नस्लवादी कामों को सही ठहराने के लिए किया गया था."

इस्माइल बगाई ने कहा, "हाल ही में आईएईए की रिपोर्ट सही रिपोर्ट नहीं थी. इस रिपोर्ट ने ज़ायनिस्ट शासन और अमेरिका को ईरान की शांतिपूर्ण परमाणु सुविधाओं के ख़िलाफ़ हमला करने का बहाना दिया."

ईरान के उप विदेश मंत्री माजिद तख़्त रवांची के मुताबिक़, "ईरान अमेरिका के साथ तभी बातचीत करेगा जब वॉशिंगटन यह गारंटी देगा कि बातचीत के दौरान ईरान पर हमला नहीं किया जाएगा."

मजलिस समाचार एजेंसी के मुताबिक़ माजिद तख़्त रवांची ने कहा, "उठाए जा रहे मुद्दों पर कोई समझौता नहीं हुआ है और वह जो कह रहे हैं वह सच नहीं है."

हाल के दिनों में, ईरानी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने अमेरिका के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए ईरान की स्थिति और शर्तों को बार-बार दोहराया है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

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