Next Story
Newszop

फैटी लिवर: कितना ख़तरनाक और क्या है इसका इलाज?

Send Push
Getty Images लिवर में कम मात्रा में फैट होता है लेकिन यदि यह लिवर के कुल वज़न का दस फ़ीसदी हो जाए तो इसे फैटी लिवर कहते हैं

फैटी लिवर तब होता है जब लिवर की कोशिकाओं में ज़्यादा वसा यानी फैट जमा हो जाता है.

लिवर में थोड़ी मात्रा में फैट मौजूद होता है, लेकिन अगर ये फैट लिवर के कुल वज़न का दस फ़ीसदी से अधिक हो जाए तो इसे फैटी लिवर माना जाता है और इससे गंभीर शारीरिक दिक्कतें पैदा हो सकती हैं.

फैटी लिवर से हमेशा नुक़सान नहीं होता, लेकिन कुछ मामलों में यह अतिरिक्त फैट लिवर में सूजन पैदा कर सकता है. इस स्थिति को स्टिएटोहेपेटाइटिस कहा जाता है, जो वास्तव में लिवर को नुक़सान पहुंचाता है.

कभी-कभी यह सूजन अधिक शराब पीने से हो जाती है. इसे अल्कोहॉलिक स्टिएटोहेपेटाइटिस कहा जाता है. लेकिन यदि शराब इसकी वजह नहीं है तो इसे नॉन-अल्कोहॉलिक स्टिएटोहेपेटाइटिस कहा जाता है.

जब लिवर में सूजन लंबे समय तक बनी रहती है तो ये सख़्त हो जाता है और इसमें जख़्म हो जाते हैं.

इस गंभीर स्थिति को सिरोसिस कहा जाता है, जिससे लिवर काम करना बंद कर सकता है.

फैटी लिवर का लेवल image BBC

ग्रेड 1 यानी हल्का फैटी लिवर

इसमें लिवर की लगभग 33 फ़ीसदी कोशिकाओं में फैट जमा होता है. आमतौर पर इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते. जीवनशैली में बदलाव, एक्सरसाइज और सही तरीके से खान-पान से इसे ठीक किया जा सकता है. ये फ़ैटी लिवर का शुरुआती और सबसे हल्की स्टेज है.

ग्रेड 2 यानी मॉडरेट फैटी लिवर

इसमें लिवर की लगभग 34 से 66 फ़ीसदी कोशिकाओं में फैट जमा होता है. थकान, पेट में भारीपन या हल्का दर्द इसके लक्षण हो सकते हैं. अगर जीवनशैली में बदलाव नहीं किया गया तो ये स्थिति गंभीर लिवर रोग में बदल सकती है.

ग्रेड 3 यानी गंभीर फैटी लिवर

यह फैटी लिवर का सबसे एडवांस और गंभीर चरण है. इसमें लिवर की 66 फ़ीसदी से अधिक कोशिकाओं में फैट जमा हो जाता है. इस स्थिति में सूजन (स्टिएटोहेपेटाइटिस), घाव या जख़्म (फाइब्रोसिस) और सिरोसिस जैसे जटिल लक्षण दिख सकते हैं.

image BBC क्या कहते हैं विशेषज्ञ

दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ़ लिवर, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी और पैन्क्रिएटिको बिलियरी साइंसेज के वाइस चेयरपर्सन डॉ. पीयूष रंजन ने बीबीसी से कहा, ''मोटे तौर पर देखा जाए तो दो तरह की फैटी लिवर डिजीज होती हैं. एक, अल्कोहल यानी शराब पीने की वजह से होती है. दूसरी कैटेगरी की वजह अल्कोहल नहीं होता और इसे नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज कहते हैं.''

वो कहते हैं कि मोटापा, डाइबिटीज़, थायराइड, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की वजह फैटी लिवर हो सकता है.

डॉ. रंजन के मुताबिक़ जब लिवर में ज्यादा फैट जमा हो जाता है तो इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता कम हो जाती है. ऐसे में टाइप-2 डाइबिटीज़ का ख़तरा बढ़ जाता है. क्योंकि ऐसे लोगों का लिवर इंसुलिन के संकेतों को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता है.

डॉक्टर रंजन कहते हैं कि फैटी लिवर डिजीज आज की तारीख़ में सिरोसिस का सबसे बड़ा कारण है. उनके मुताबिक़ लगभग 35 फ़ीसदी लोगों को फैटी लिवर होता है. इनमें से 25 फ़ीसदी लोगों में इसके बढ़ने का ख़तरा होता है.

फैटी लिवर के ख़तरों के कैसे जानें image Getty Images मोटापा फैटी लिवर को न्योता दे सकता है (सांकेतिक तस्वीर)

डॉ. रंजन कहते हैं कि लिवर की कोशिकाओं में फैट के सामान्य स्तर से सिरोसिस तक पहुंचने में लंबा समय यानी पांच से दस साल तक लग सकते हैं.

लिवर सिरोसिस के ख़तरे को सिग्निफिकेंट फाइब्रोसिस कहते हैं. इसे फाइब्रोस्कैन से पहचाना जाता है. इलेस्टोग्राफ़ी से भी इसकी पहचान होती है. अगर लिवर में कड़ापन ज़्यादा है तो इसे दवा से ठीक करना पड़ता है. जीवनशैली ठीक कर और एक्सरसाइज से भी इसे नियंत्रित करने की कोशिश की जाती है.

दवा के अलावा मोटापा, डाइबिटीज़ और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर भी फैटी लिवर डिजीज को नियंत्रित करने की कोशिश होती है. एंटी ओबिसिटी दवाइयां फैट को कम करती हैं.

क्या न खाएं image Getty Images डॉक्टर सलाह देते हैं कि फैटी लिवर से बचना है तो प्रोसेस्ड फूड से दूर रहना होगा

विशेषज्ञों के मुताबिक़ क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, इस पर गौर करना चाहिए.

  • खाने में अतिरिक्त चीनी न डालें - कुकीज़, बिस्कुट, कैंडी, सोडा, स्पोर्ट्स ड्रिंक, पैकेज्ड जूस, मिठाई और चॉकलेट जैसी चीजों से दूर रहें.
  • तला हुआ और प्रोसेस्ड फूड न खाएं - मछली और लीन मीट को डीप-फ्राइ करने के बजाय उबालें. प्रोसेस्ड मीट से बचें. फ्राइड चिकन, डोनट्स, चिप्स, बर्गर वगैरह से परहेज करें. प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में अक्सर फ्रुक्टोज या हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप जैसी चीजें होती हैं जो फैटी लिवर को बढ़ाती हैं.
  • अतिरिक्त नमक न लें - यानी आप ऐसे पैकेज्ड फूड से दूर रहें जिसमें ज्यादा नमक होता है. सोडियम का सेवन प्रतिदिन 2,300 मिलीग्राम पर सीमित रखें.
  • व्हाइट ब्रेड, पिसा हुआ चावल या पास्ता न खाएं: ये शुगर के स्तर को बढ़ा सकते हैं. साबुत अनाज इस प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं क्योंकि इनमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है.
  • बहुत ज़्यादा खाना न खाएं- ज़्यादा खाने से आपके शरीर में ज़रूरत से ज़्यादा कैलोरी जमा हो सकती है जो आसानी से फैट के रूप में जमा हो जाती है और फैटी लिवर रोग का जोखिम बढ़ जाता है.
एक्सपर्ट के सुझाव: क्या खाना चाहिए image Getty Images फैटी लिवर से बचने के लिए स्वस्थ भोजन ज़रूरी है (सांकेतिक तस्वीर)
  • सुबह अच्छा नाश्ता करें. दोपहर को मध्यम खाना लें और रात का खाना हल्का लें. रात का खाना सात बजे तक खा लें.
  • ब्लैक कॉफी पी सकते हैं. कई अध्ययनों से पता चला है कि कि ये फैटी लिवर और असामान्य लिवर एंजाइम के जोखिम को कम करता है.
  • पत्तेदार सब्जियों का भरपूर सेवन करें, क्योंकि इनमें नाइट्रेट और पॉलीफेनॉल्स की मौजूदगी होती है जो फैटी लिवर को कंट्रोल करने में मददगार होते हैं.
  • आधी प्लेट में फाइबर वाले फल, सब्जियां और साबुत अनाज रखें.
  • खाने में दाल, चना, सोयाबीन और मटर जैसी फलियां शामिल करें.
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर मछली ट्राइग्लिसराइड्स को कम करती है.
एक्सरसाइज ज़रूरी image Getty Images फ़ैटी लिवर को कंट्रोल करने के लिए एक्सरसाइज ज़रूरी है

नियमित एक्सरसाइज ख़ासकर एरोबिक एक्सरसाइज, फैटी लिवर रोग को नियंत्रित करने में मददगार साबित हो सकते हैं.

विशेषज्ञों के मुताबिक सप्ताह में कम से कम 150 मिनट तक मध्यम तीव्रता वाली एरोबिक एक्टिविटी ज़रूरी है. इनमें तेज़ चाल, साइकिल चलाना और तैराकी शामिल है.

वेटलिफ्टिंग भी फ़ायदेमंद हो सकती है. इन्हें सप्ताह में कम से कम दो दिन शामिल किया जा सकता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में फैटी लिवर की बीमारी काफी ज्यादा बढ़ रही है. गलत खान-पान, जीवनशैली और एक्सरसाइज न करने से लोग इसके शिकार हो रहे हैं.

मोटापा, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल पर कंट्रोल न होने से इस बीमारी को न्योता मिल सकता है, इसलिए इससे सावधान रहना ज़रूरी है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

image
Loving Newspoint? Download the app now