महाराष्ट्र के ठाणे में एक स्कूल की प्रिंसिपल और महिला कर्मचारी को गिरफ़्तार किया गया है.
दोनों पर आरोप है कि उन्होंने छात्राओं के कपड़े उतरवाकर देखा कि वे मासिक धर्म में हैं या नहीं, क्योंकि शौचालय की दीवार पर ख़ून के धब्बे मिले थे.
पुलिस ने यह कार्रवाई तब की जब इस तरह का बर्ताव झेल चुकी '10 से 15 लड़कियों' में से एक की मां ने शिकायत दर्ज कराई. इस स्कूल में नर्सरी से 10वीं कक्षा तक लगभग 600 छात्राएं पढ़ती हैं.
यह घटना मंगलवार को ठाणे ज़िले के शाहपुर में हुई. बुधवार को अभिभावकों ने स्कूल में प्रदर्शन किया और ज़िम्मेदारों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की मांग की.
इसके बाद पुलिस ने 8 लोगों के ख़िलाफ़ पॉक्सो के तहत मामला दर्ज कर प्रिंसिपल और एक महिला कर्मचारी को गिरफ़्तार किया. इसके अलावा पुलिस ने महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने और मारपीट से जुड़े क़ानून की धाराएं लगाई हैं.
बीबीसी मराठी ने अभियुक्तों का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो सका.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मिलिंद शिंदे ने गुरुवार को बीबीसी मराठी को बताया कि वह इन आरोपों की जांच कर रहे हैं.
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ठाणे ज़िले के शाहपुर तहसील में मौजूद एक अंग्रेजी माध्यम स्कूल में 8 जुलाई को यह घटना हुई.
पुलिस के अनुसार, 8 जुलाई को सुबह 10 बजे से 12 बजे के बीच प्रिंसिपल ने स्कूल की क़रीब 125 लड़कियों को हॉल में बुलाया.
फिर स्कूल के बाथरूम की दीवारों और फर्श पर लगे खून के धब्बों की तस्वीरें प्रोजेक्टर पर दिखाई गईं और छात्राओं से पूछा गया कि क्या उन्हें मासिक धर्म हुआ था या नहीं. दीवारों पर ख़ून कैसे लगा?
फिर कुछ टीचरों को मासिक धर्म वाली लड़कियों के हाथों के निशान लेने को कहा गया.
शिकायत में यह भी कहा गया है कि महिला कर्मचारियों को उन लड़कियों को बाथरूम में ले जाने और उनकी जांच करने के लिए उनके कपड़े उतारने के लिए कहा गया था, जिन्हें मासिक धर्म नहीं हुआ था.
इस घटना से सभी छात्राएं सदमे में हैं. कुछ लड़कियों ने घर आकर अपने माता-पिता को घटना के बारे में बताया. जबकि कुछ छात्राएं इस पर बात नहीं करना चाहती हैं. अभिभावकों का दावा है कि घटना के बाद कुछ छात्राओं ने स्कूल आने से मना कर दिया है.
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शिकायत करने वाली एक महिला का आरोप है कि उनकी बेटी को, जिसे माहवारी नहीं थी, डांटा गया और पूछा गया कि वह सैनिटरी पैड क्यों नहीं पहन रही है. उनकी बेटी के हाथ का निशान भी लिया गया.
महिला ने बताया कि उनकी बेटी को 'बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई' क्योंकि उसके साथ ऐसा हुआ.
कुछ अभिभावकों ने बीबीसी मराठी को बताया कि उनकी बेटियां इस घटना से सदमे में हैं.
एक अभिभावक ने कहा, "यह घटना हमारे बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाती है. हमारी बेटियां बहुत डरी हुई हैं. सरकार को स्कूल के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए."
एक छात्रा की मां ने बीबीसी मराठी से कहा कि जब उन्होंने सवाल किया तो प्रिंसिपल ने सब कुछ नकार दिया. उन्होंने कहा, "जब हमने पूछा कि क्या इतनी सारी लड़कियां झूठ बोल सकती हैं, तो स्कूल के पास कोई जवाब नहीं था."
30 से 40 छात्राओं के अभिभावकों के स्कूल पहुंचने के बाद स्कूल में हंगामा मच गया.
अभिभावकों का गुस्सा देखकर प्रिंसिपल ने पुलिस बुला ली. घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और अधिकारी तुरंत पहुंच गए. इससे स्कूल पुलिस छावनी में तब्दील हो गया. पुलिस ने अभिभावकों को शांत करने की कोशिश की.
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बीबीसी ने स्कूल के टेलीफ़ोन नंबर पर संपर्क किया, तो बताया गया कि प्रिंसिपल और अन्य के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है. इसके अलावा कोई और जानकारी नहीं दी गई.
फ़ोन कॉल में यह भी बताया गया कि स्कूल फ़िलहाल बंद है.
एक वीडियो में स्कूल प्रिंसिपल ग़ुस्साए अभिभावकों से बहस करती नज़र आती हैं, वह कहती हैं कि उन्होंने कपड़े उतरवाने का कोई आदेश नहीं दिया और न ही ऐसा कुछ हुआ.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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