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नीट यूजी 2025 के टॉपर महेश केसवानी से मिलिए, जानिए किस तरह उन्होंने की थी परीक्षा की तैयारी

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MOHAR SINGH MEENA/BBC महेश केसवानी जिन्होंने 720 में से 686 अंक हासिल कर नीट यूजी परीक्षा में टॉप किया.

राजस्थान के हनुमानगढ़ के महेश केसवानी ने नीट यूजी 2025 की परीक्षा में टॉप किया है.

उन्हें ये सफलता पहले ही प्रयास में मिली है. उन्होंने 720 में से 686 अंक हासिल किए.

वो कहते हैं कि पहले तो उन्हें इस परीक्षा की तैयारी को लेकर भी संकोच था.

लेकिन बहन हिमांशी की सलाह और शिक्षकों की मदद से वो न सिर्फ़ इस बड़ी परीक्षा में पास हुए बल्कि टॉपर भी बने.

महेश केसवानी ने नीट यूजी की परीक्षा में सफलता हासिल करने का सपना तो पूरा कर लिया.

अब उनका सपना दिल्ली के एम्स में दाखिला लेकर न्यूरो सर्जन बनने का है.

'रैंक वन का तो कभी सोचा ही नहीं था' image MOHAR SINGH MEENA/BBC महेश केसवानी का सम्मान करते राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा. साथ में महेश केसवानी के माता-पिता.

महेश केसवानी कहते हैं, " जब मैं ग्यारहवीं में आया, तो मुझे शंका थी कि मैं हिंदी माध्यम का छात्र हूं, तो क्या मैं नेशनल लेवल पर एग्जाम फाइट कर पाऊंगा? रैंक वन का तो कभी सोचा ही नहीं था."

महेश का कहना है कि नीट की तैयारी में अंग्रेजी भाषा एक बड़ा फ़ैक्टर है और इसके लिए उन्होंने एक तरकीब निकाली कि वो हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं को साथ मिलाकर चलेंगे.

महेश कहते हैं कि इस परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने कोई टाइम टेबल नहीं बनाया था.

वो रोजाना क़रीब 6-7 घंटे की पढ़ाई करते थे लेकिन अपनी इच्छा के अनुसार कभी दिन में ही पढ़ाई पूरी कर लेते तो कभी रात को पढ़ते थे.

image BBC

महेश के पिता रमेश केसवानी कहते हैं, "जब इस परीक्षा की आंसर की जारी हुई, तब हमें लगा कि टॉप टेन में तो महेश आएगा, लेकिन ऑल इंडिया टॉपर बनेगा, यह सोचा नहीं था."

रमेश कहते हैं, "महेश शुरू से ही पढ़ाई में अच्छा रहा है. दसवीं में उसके 97 प्रतिशत अंक आए थे. वह अपनी इच्छा से ही पढ़ाई करता है, हमें उसको पढ़ने के लिए कभी टोकना नहीं पड़ा."

महेश अपने परिवार से पहले व्यक्ति हैं जो मेडिकल की पढ़ाई करने जा रहे हैं. वो कहते हैं कि इस ख़्वाब को साकार करने के लिए उन्होंने तीन साल तक सीकर के एक हॉस्टल में रहकर तैयारी की.

'कभी महसूस हो कि नहीं हो पा रहा है तो तैयारी छोड़ देना' image MOHAR SINGH MEENA/BBC कई संस्थाएं महेश केसवानी का सम्मान कर रही हैं.

हॉस्टल में अपने परिवार से दूर रहने के अनुभव पर वो कहते हैं कि उनका अनुभव अच्छा ही रहा.

उनके पैरेंट्स उनसे मिलने अक्सर हनुमानगढ़ से सीकर आया करते थे और सभी लगातार फ़ोन पर संपर्क में रहते थे.

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महेश की मां हेमलता और पिता रमेश केसवानी हनुमानगढ़ ज़िले के ही दो अलग-अलग सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं.

उनके पिता रमेश कहते हैं, "दसवीं कक्षा के बाद महेश को हमने सीकर की एक कोचिंग में दाखिला दिला दिया था. लेकिन हम लगातार उससे मिलते रहते थे."

वो कहते हैं, "हमने महेश को कहा था कि बिना तनाव के तैयारी करनी है. किसी भी तरह के दबाव या परेशानी में नहीं रहना है, कभी लगे कि नहीं होगा तो छोड़ देना."

महेश कहते हैं कि परिवार के इसी साथ ने उनका हौसला बुलंद रखा और वो बिना किसी दबाव के तैयारी में जुटे रहे.

दसवीं के बाद आर्ट्स लेना चाहते थे image MOHAR SINGH MEENA/BBC

महेश की दसवीं कक्षा तक की स्कूली पढ़ाई हनुमानगढ़ के नोहर में ही हुई है. वह ग्यारहवीं में आर्ट्स लेकर आगे यूपीएससी की तैयारी करना चाहते थे.

वह बताते हैं, "मेरी बड़ी बहन हिमांशी का विचार था कि मैं नीट की तैयारी शुरू करूं. उन्होंने ही मुझे बायोलॉजी विषय और नीट परीक्षा के बारे में बताया."

"उनके कहने पर ही मैं हनुमानगढ़ से सीकर तैयारी के लिए आया और परिणाम आज सबके सामने है."

महेश की बड़ी बहन हिमांशी अभी एमएससी कर रही हैं. हिमांशी भी नीट की तैयारी करना चाहती थीं लेकिन कुछ कारणों से वो ऐसा नहीं कर पाईं.

हिमांशी कहती हैं, "मैं उस समय बीएससी बीएड कर रही थी. महेश के पढ़ाई के जज्बे को देख कर मुझे लगा था कि वह नीट कर सकता है. इसलिए उसे नीट के लिए प्रेरित किया."

महेश एक चीज जोर देकर कहते हैं कि उनके माता-पिता ने कभी उन पर ये दवाब नहीं डाला कि वो कौन सा विषय पढ़ें. वो कहते हैं कि उन्हें मन मुताबिक अपना विषय चुनने की स्वतंत्रता थी.

image MOHAR SINGH MEENA/BBC

राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने चार मई को देश के 552 शहरों के 5468 परीक्षा केंद्रों पर नीट यूजी की परीक्षा आयोजित कराई थी.

इस परीक्षा में 22 लाख से ज़्यादा उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था. वहीं देश के बाहर भी 14 शहरों में यह परीक्षा आयोजित की गई थी.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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