कृषि व्यापार को मज़बूत करने और किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। दरअसल, राजस्थान सरकार ने घोषणा की है कि अब राज्य की कृषि उपज मंडियों में किसान उत्पादक संगठनों, सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों को एक यार्ड स्पेस दिया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य ग्रामीण और क्षेत्रीय स्तर पर काम करने वाले कृषि उत्पादकों को बेहतर बाज़ार और उचित मूल्य प्रदान करना है।
उत्पादकों को सशक्त बनाने के लिए उठाया गया कदम
कृषि एवं बागवानी सचिव राजन विशाल के अनुसार, कृषि विपणन विभाग ने सभी मंडी सचिवों को मंडी यार्ड के अंदर इन समूहों के लिए अलग से एक प्लेटफ़ॉर्म चिन्हित और आरक्षित करने के सख्त निर्देश दिए हैं। इससे एफपीओ, स्वयं सहायता समूहों और सहकारी संस्थाओं को लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों के साथ समान वातावरण में अपनी खरीद-बिक्री करने की सुविधा मिलेगी। दरअसल, पहले इन समूहों को मंडियों में ग्राहकों या बिचौलियों का इंतज़ार करना पड़ता था, लेकिन अब यह इंतज़ार खत्म हो गया है। अब इस कदम के बाद पूरा कृषि व्यापार व्यापारियों की तरह काम कर सकेगा।
इस कदम के पीछे क्या है उद्देश्य
इस कदम का उद्देश्य एफपीओ और सहकारी समिति द्वारा बेची जाने वाली कृषि उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही, छोटे और मध्यम कृषि समूहों की मुख्यधारा के व्यापार में भागीदारी को भी प्रोत्साहित करना है। इतना ही नहीं, मंडियों के अंदर व्यापार प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना और बिचौलियों पर निर्भरता कम करना भी है।
राजस्थान में एफपीओ वृद्धि
वर्तमान में, केंद्रीय प्रोत्साहन योजना के तहत राजस्थान में 589 एफपीओ पंजीकृत हैं। इसके अलावा, सरकार ने 125 नए एफपीओ स्थापित करने का लक्ष्य भी रखा है। पूरे राजस्थान में डेढ़ सौ कृषि उपज मंडियाँ हैं। ये सभी मंडियाँ ई-नाम प्लेटफॉर्म से जुड़ी हैं। आपको बता दें कि अब तक इन मंडियों के अधिकांश प्लेटफॉर्म निजी व्यापारियों के कब्जे में थे।
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