राजस्थान की वीरभूमि अलवर में स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व का कंकवाड़ी किला सिर्फ अपनी ऐतिहासिक बनावट के लिए ही नहीं, बल्कि यहां के खौफनाक रहस्यों के लिए भी जाना जाता है। बीते दिनों एक पैरानॉर्मल एक्सपर्ट्स की टीम ने जब इस किले की गहराई से जांच की, तो जो खुलासे सामने आए, वे बेहद चौंकाने वाले और डरावने थे।राजसी ठाठ-बाट और खूबसूरत वादियों के बीच बसा यह किला आज वीरान पड़ा है। लेकिन इस वीरानी में भी कुछ ऐसा है, जो रात के अंधेरे में चीखता, सिसकता और किसी अनदेखी शक्ति की उपस्थिति का आभास कराता है। यही कारण है कि कंकवाड़ी किले को राजस्थान के सबसे डरावने स्थानों में से एक माना जाता है।
इतिहास की परतों में छिपा दर्दनाक सच
कहा जाता है कि कंकवाड़ी किला 17वीं शताब्दी में मुगलों और राजपूतों के संघर्ष का साक्षी रहा है। यह किला खासतौर पर मुग़ल शहजादे दारा शिकोह के कैद और अंत की गवाह बना, जिसे औरंगज़ेब ने यहीं पर बंदी बनवाया था। ऐसी मान्यता है कि दारा की आत्मा आज भी इस किले की दीवारों के भीतर भटकती है।इतिहासकारों के अनुसार, किले के अंदर कई ऐसे तहखाने और खंडहर हैं जहाँ आज भी दिन के उजाले में भी डर का माहौल महसूस होता है। ये जगहें न केवल वीरान हैं, बल्कि यहाँ की हवा तक बोझिल लगती है, मानो किसी अनकहे रहस्य को संजोए हुए हो।
पैरानॉर्मल टीम की खोज
हाल ही में देश की एक प्रमुख पैरानॉर्मल जांच एजेंसी ने अपनी टीम को सरिस्का भेजा। इस टीम में अनुभवी एक्सपर्ट्स, थर्मल कैमरे, ईएमएफ डिटेक्टर और स्पिरिट बॉक्स जैसे आधुनिक उपकरण शामिल थे। रात के समय जब टीम ने किले की परिक्रमा की, तो कई अनजान आवाजें, अचानक तापमान में गिरावट, और कुछ स्थानों पर अजीबोगरीब कंपन दर्ज किए गए।एक एक्सपर्ट ने बताया, "हमने रात के करीब 2 बजे एक महिला के रोने की आवाज रिकॉर्ड की, जबकि वहां कोई इंसान मौजूद नहीं था।" टीम के अन्य सदस्यों ने भी स्वीकार किया कि कुछ समय के लिए उन्होंने भारीपन और सांस रुकने जैसा अनुभव किया, जो आम तौर पर पैरानॉर्मल प्रेजेंस की निशानी मानी जाती है।
अंधविश्वास या सच्चाई?
हालांकि स्थानीय लोग इन घटनाओं को किले से जुड़े पुराने अंधविश्वास और कथाओं से जोड़ते हैं, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखने वाले विशेषज्ञ मानते हैं कि यहां कुछ ऐसा जरूर है जिसे सिर्फ मन का वहम नहीं कहा जा सकता।कुछ ग्रामीणों का कहना है कि रात के समय किले के पास से गुजरते हुए कई बार उन्हें अनदेखी परछाइयाँ, घोड़ों की टापों की आवाजें और चीखों का अनुभव हुआ है। किले की दीवारों पर कई ऐसे निशान भी देखे गए हैं, जिन्हें प्राकृतिक कारणों से नहीं समझाया जा सकता।
सरकार और पर्यटन विभाग की नजरें
सरिस्का टाइगर रिजर्व में स्थित होने के कारण कंकवाड़ी किला आम पर्यटकों के लिए पूरी तरह से खुला नहीं है। लेकिन हाल के इन खुलासों के बाद राजस्थान पर्यटन विभाग इस स्थान को हेरिटेज हॉरर टूरिज्म के रूप में विकसित करने की योजना बना रहा है।इस क्षेत्र को शोधकर्ताओं और जिज्ञासु पर्यटकों के लिए सुरक्षित और नियोजित रूप से खोले जाने की बात चल रही है। यदि ऐसा होता है, तो यह न केवल किले के रहस्यों को समझने में मदद करेगा, बल्कि स्थानीय रोजगार और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।
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