सीकर जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसे सुनकर किसी की भी रूह कांप जाएगी। मां की कोख में एक जिंदगी पल रही थी। गोद में ढाई साल की मासूम बेटी थी और साथ में था पति, जो अपने परिवार को बाइक पर लेकर मंदिर दर्शन के लिए निकला था। लेकिन किसे पता था कि त्रिवेणी धाम का ये सफर सीधे मौत की घाटी में ले जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शाहपुरा के चतरपुरा निवासी राजेंद्र गुर्जर (28) अपनी गर्भवती पत्नी अनु (22) और ढाई साल की बेटी अयांशी के साथ रविवार सुबह करीब 8 बजे सीकर जिले के अजीतगढ़ थाना इलाके के धाराजी घाटा स्थित जगदीश धाम मंदिर के लिए निकले थे। लेकिन रास्ते में मूंगफली के छिलकों से भरा एक ट्रक असंतुलित होकर सीधे उनकी बाइक पर पलट गया। न चीख, न चीख, तीनों जिंदगियां वहीं थम गईं...और ऊपर से छिलकों का ऐसा पहाड़ गिरा कि 24 घंटे तक किसी को भनक तक नहीं लगी।
मोबाइल बंद, परिजन परेशान, फिर दर्ज कराई गुमशुदगी की रिपोर्ट
जब शाम तक राजेंद्र का परिजन घर नहीं पहुंचा तो उनकी चिंता बढ़ गई। फोन किए गए, लेकिन मोबाइल बंद था... चिंता बढ़ी, शक गहराया। रात तक परिजन शाहपुरा थाने पहुंचे और गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस को मोबाइल की आखिरी लोकेशन मिली-जिससे पता चला कि वे अजीतगढ़ के पास थे। सोमवार सुबह जब सड़क साफ करने के लिए ट्रक हटाया जा रहा था और मूंगफली के छिलकों के ढेर को जेसीबी से हटाया गया-तब खौफनाक सच सामने आया। नीचे तीन शव दबे थे- राजेंद्र, अनु और मासूम अयांशी। चीख पुकार मच गई, गुस्सा फूट पड़ा।
ग्रामीणों ने हाईवे जाम किया, 50 लाख मुआवजे की मांग की
शव मिलने के बाद परिजन और स्थानीय ग्रामीण आक्रोशित हो गए। शवों को घटनास्थल पर रख दिया और अजीतगढ़-शाहपुरा स्टेट हाईवे जाम कर दिया। यह विरोध प्रदर्शन सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक चला। परिजनों ने 50 लाख रुपए मुआवजे और संविदा पर नौकरी की मांग की। पुलिस-प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर समझाइश की, जिसके बाद मामला शांत हुआ।
पुलिस की लापरवाही से गुस्सा
हैरानी की बात यह है कि ट्रक पलटने के बाद भी पुलिस को यह अहसास नहीं हुआ कि छिलकों के नीचे कोई दबा हो सकता है। न कोई सर्च ऑपरेशन, न कोई शक। अगर समय रहते मलबा हटा दिया जाता तो शायद जान बच सकती थी। अब इस लापरवाही को लेकर प्रशासन भी सवालों के घेरे में है। इस दर्दनाक हादसे ने एक झटके में पूरा परिवार छीन लिया। एक पिता, एक मां, एक मासूम और एक अजन्मा बच्चा- चार जिंदगियां एक ही चिता पर रख दी गईं। गांव में मातम है, आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे।
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