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प्रशासनिक सुस्ती या राजनीतिक दबाव! गहलोत राज के अंतिम फैसलों की जांच 17 माह से लटकी, 90 दिन में आना था फैसला

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पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के आखिरी साढ़े 8 महीने के कार्यों की जांच के लिए गठित कैबिनेट कमेटी डेढ़ साल बाद भी काम पूरा नहीं कर पाई है। कमेटी को यह जांच 3 महीने में पूरी करनी थी। इतना जरूर है कि डेढ़ साल में कमेटी की करीब 20 बैठकें हो चुकी हैं। इसके बावजूद जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई है। बताया जा रहा है कि अभी कमेटी की और बैठकें भी होंगी।

भाजपा सरकार आने के बाद 1 फरवरी 2024 को चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के नेतृत्व में इस कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी को साढ़े 8 महीने तक पिछली अशोक गहलोत सरकार के फैसलों की जांच का जिम्मा सौंपा गया था। इसके अलावा पिछले 5 साल में नॉन बीएसआर (बेसिक शेड्यूल ऑफ रेट्स) के तहत हुए कार्यों की भी जांच की जानी थी। कैबिनेट सचिवालय की ओर से जारी आदेश में कमेटी को 3 महीने में जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को सौंपने को कहा गया था।

मंत्री ने पहली कैबिनेट में ही उठाई थी जांच की मांग
भाजपा सरकार बनने के बाद मंत्री और भाजपा नेता लगातार पिछली सरकार के कामकाज की जांच की मांग कर रहे थे। पहली कैबिनेट बैठक में ही मंत्री किरोड़ी लाल मीना ने जांच की मांग की थी। इसी आधार पर कैबिनेट कमेटी बनाई गई। इसमें मंत्री खींवसर के अलावा जोगाराम पटेल, सुमित गोदारा और मंजू बाघमार को शामिल किया गया।

कैबिनेट और विभागीय निर्णयों की होगी जांच
कैबिनेट कमेटी को 1 अप्रैल 2023 से 14 दिसंबर 2023 तक के कैबिनेट और विभागीय निर्णयों की जांच करनी थी। इसके अलावा कांग्रेस सरकार में पांच साल में बिना बीएसआर दर के हुए कार्यों की भी जांच करनी थी। इसको लेकर कमेटी ने संबंधित विभागों से रिकॉर्ड जुटाया और अधिकारियों के साथ बैठकें की। इनमें बड़ी संख्या में भूमि आवंटन के मामले भी शामिल थे। लेकिन कमेटी की जांच रिपोर्ट नहीं आई है।पिछली सरकार के आखिरी छह माह में भूमि आवंटन को लेकर कैबिनेट के निर्णयों की समीक्षा की गई है। इसके लिए करीब 15-20 बैठकें हुई। अब कुछ और बिंदुओं पर चर्चा करके इस कार्य को अंतिम रूप दिया जाएगा।

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