राजस्थान के थार रेगिस्तान के बीचोबीच बसा एक रहस्यमयी गांव — कुलधरा — आज भी इतिहास, रहस्य और डर का मिश्रण है। जैसलमेर से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव, पिछले 200 वर्षों से वीरान पड़ा है और स्थानीय जनमान्यताओं के अनुसार यह भूतों का बसेरा बन चुका है। सदियों पुराना यह खौफनाक गांव अचानक एक ही रात में खाली हो गया था, और इसके पीछे जो कहानी है, वह आज भी लोगों के रोंगटे खड़े कर देती है।
कुलधरा की स्थापना और गौरवशाली अतीत
कुलधरा की कहानी शुरू होती है 13वीं शताब्दी से, जब पालिवाल ब्राह्मण समुदाय ने इस गांव की स्थापना की थी। यह समुदाय बेहद विद्वान, समृद्ध और जल प्रबंधन की पारंपरिक तकनीकों में माहिर था। उन्होंने रेगिस्तान में रहते हुए भी खेती और व्यापार को बखूबी साधा। कुलधरा केवल एक गांव नहीं था, बल्कि आसपास के 83 अन्य गांवों के साथ एक समृद्ध सांस्कृतिक और सामाजिक इकाई के रूप में जाना जाता था।
एक रात में पूरा गांव खाली क्यों हुआ?
कहानी के सबसे रहस्यमयी हिस्से की बात करें तो लोककथाओं के अनुसार, जैसलमेर के तत्कालीन दीवान सलिम सिंह की बुरी नजर कुलधरा गांव की एक ब्राह्मण कन्या पर पड़ी थी। वह कन्या को जबरन पाना चाहता था और इसके लिए उसने पालिवालों पर दबाव बनाया। इस अपमान और उत्पीड़न से आहत होकर पालिवाल ब्राह्मणों ने एक साहसिक निर्णय लिया। उन्होंने एक ही रात में न सिर्फ कुलधरा बल्कि आसपास के सभी 83 गांवों को खाली कर दिया और हमेशा के लिए कहीं और बस गए।लेकिन जाते-जाते उन्होंने एक श्राप दिया — “इस भूमि पर अब कोई नहीं बस पाएगा।” यह श्राप आज भी इस स्थान पर कायम माना जाता है, क्योंकि कई बार इस गांव को बसाने की कोशिश की गई, लेकिन हर बार रहस्यमयी घटनाओं के चलते लोग डरकर भाग गए।
क्या सच में कुलधरा में भूत हैं?
कुलधरा को लेकर इंडियन पैरानॉर्मल सोसाइटी, विभिन्न टीवी चैनल्स और स्वतंत्र शोधकर्ताओं ने कई बार यहां जांच-पड़ताल की है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि रात के समय यहां अजीबो-गरीब आवाजें, परछाइयाँ, और असामान्य घटनाएं होती हैं।कई पर्यटकों और स्थानीय गाइड्स ने यह अनुभव साझा किया है कि रात के समय यहां तापमान अचानक कम हो जाता है, हवाएं सन्नाटे से बातें करने लगती हैं और लगता है मानो कोई मौजूद है। हालांकि विज्ञान के अनुसार ये सब वातावरण की गूंज और मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी हो सकते हैं, लेकिन यहां की रहस्यमयी चुप्पी लोगों को डर से भर देती है।
सरकार की कोशिशें और पर्यटन का बढ़ता आकर्षण
राजस्थान सरकार और पर्यटन विभाग ने कुलधरा को एक हेरिटेज पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम उठाए हैं। दिन के समय यहां देश-विदेश से हजारों पर्यटक आते हैं जो इसकी वीरान गलियों, ध्वस्त मकानों और श्मशान सन्नाटे को महसूस करने आते हैं। हालांकि, आज भी रात के समय इस गांव में प्रवेश प्रतिबंधित है और लोग इसके पास जाने से भी कतराते हैं।
कुलधरा का वास्तु और रहन-सहन
यह गांव स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। यहां के मकान एक निश्चित पैटर्न में बने हुए हैं, जिनमें वेंटिलेशन और जल संरक्षण की विशेष व्यवस्था थी। यह प्रमाणित करता है कि पालिवाल ब्राह्मणों का जीवन काफी व्यवस्थित और पर्यावरण के प्रति जागरूक था।
क्या यह सब केवल कहानी है?
कुछ इतिहासकार और पुरातत्वविद मानते हैं कि कुलधरा का वीरान होना केवल जल संकट या आक्रमण जैसी व्यावहारिक वजहों से भी हो सकता है। लेकिन रहस्य यह है कि कोई पक्के तौर पर नहीं जानता कि पूरा समुदाय कहां गया और इतने वर्षों तक वो कभी वापस क्यों नहीं आया। यही वह रहस्य है जो आज भी इस गांव को डरावना और रहस्यमयी बनाए हुए है।
You may also like
सावन 2025: महादेव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक की शुभ तिथियां और लाभ, जानें पूजा की विधि और महत्व
ईरान अगर इसराइल से हार गया तो इसका भारत पर क्या असर पड़ेगा
हरियाणा में पहले से लिखी गई फायरिंग की स्क्रिप्ट! शूटर ने जैसे ही पहचाना टारगेट, हड़बड़ाहट में चूका निशाना
इजराइल का ईरान के कोम शहर पर हमला, यहीं पर है उसका फोर्डो ईंधन संवर्धन संयंत्र, आवासीय इमारत में लगी आग, दो की मौत
मेष राशिफल 21 जून 2025: रिश्तों में ईमानदारी रखें, व्यापारिक फैसलों में सावधानी बरतें, सेहत पर दें विशेष ध्यान