राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने एक बड़ा फैसला लेते हुए शिक्षा विभाग, पंचायती राज और संस्कृत शिक्षा विभाग में अब केवल भारत में निर्मित वस्तुओं (Made in India) की खरीद को मंजूरी देने का ऐलान किया है। इसके साथ ही विभागों में विदेशी वस्तुओं की खरीद पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस फैसले को आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बुधवार को अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो साझा कर इस निर्णय की जानकारी दी। वीडियो में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले किसी भी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा यदि विदेशी वस्तुओं की खरीद की जाती है, तो न केवल उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, बल्कि उस वस्तु की लागत भी संबंधित अधिकारी से वसूली जाएगी।
दिलावर ने यह भी कहा कि सरकार का यह कदम देश में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है। "हमारा प्रयास है कि हम अपने देश में बनी वस्तुओं को प्राथमिकता दें और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को मजबूत करें," उन्होंने कहा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि कोई भी खरीदारी करते समय यह सुनिश्चित करें कि वह वस्तु पूर्ण रूप से भारत में निर्मित हो।
इस फैसले के तहत शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग और संस्कृत शिक्षा विभाग में आने वाले फर्नीचर, स्टेशनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर, तकनीकी उपकरण, खेल सामग्री सहित सभी वस्तुओं की खरीद अब केवल देश में बने उत्पादों से ही होगी। इससे स्थानीय उद्योगों और छोटे कारोबारियों को भी लाभ मिलने की उम्मीद है।
सरकार का यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे अभियानों के अनुरूप है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि राजस्थान सरकार शिक्षा के साथ-साथ आर्थिक आत्मनिर्भरता को भी प्राथमिकता दे रही है, और यही वजह है कि यह सख्त कदम उठाया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से देश में उत्पादित वस्तुओं की मांग में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय उत्पादकों और निर्माताओं को बड़ा बाजार मिलेगा। हालांकि, कुछ प्रशासनिक हलकों में यह चर्चा भी है कि क्या सभी विभागों को तुरंत यह बदलाव लागू कर पाना संभव होगा या नहीं, खासकर उन मामलों में जहाँ कुछ विशेष उपकरण केवल विदेशों से ही उपलब्ध होते हैं।
फिलहाल, शिक्षा मंत्री के इस फैसले को सकारात्मक रूप से देखा जा रहा है और उम्मीद की जा रही है कि इससे राजस्थान के सरकारी विभागों में ‘मेड इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलेगा और विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता में कमी आएगी।
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