राजस्थान के चूरू शहर की पुरानी सब्जी मंडी में स्थित मंगलेश्वर महादेव मंदिर का न केवल ऐतिहासिक महत्व है, बल्कि यह आस्था का भी एक प्रमुख केंद्र है। इस मंदिर की स्थापना लगभग 240 वर्ष पूर्व हुई थी। वर्तमान में पुजारी कैलाश हरित का परिवार इस मंदिर की सेवा में लगा हुआ है, जो चौथी पीढ़ी के रूप में अपना दायित्व निभा रहे हैं। यह मंदिर स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
मंगलेश्वर महादेव मंदिर में सावन के सोमवार को एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। जब भक्त भगवान शिव का जलाभिषेक और गणेश पूजा करते हैं, तो मंदिर में एक जीवित सांप प्रवेश करता है। यह सांप सीधे शिवलिंग पर चढ़कर लिपट जाता है और शांत होकर बैठ जाता है। वह न तो किसी को नुकसान पहुँचाता है और न ही डरता है। कुछ देर बाद वह स्वयं ही वहाँ से चला जाता है। इस अलौकिक दृश्य को देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त मंदिर में आते हैं।
मंगलेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी एक रोचक कथा है। प्राचीन काल में एक ठाकुर अपने महल की नींव खोद रहे थे, तभी ज़मीन से एक शिवलिंग निकला। यह देखकर ठाकुर ने महल बनाने का विचार त्याग दिया और उसी स्थान पर मंदिर बनवाकर शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा करवाई। पुजारी मंगलचंद हरित के नाम पर इस मंदिर का नाम मंगलेश्वर महादेव रखा गया। तब से यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है, जहाँ भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।
मंदिर की एक अन्य विशेषता यहाँ स्थापित चतुर्मुखी शिवलिंग है, जिसे पुजारी के पूर्वज जयपुर से पैदल चलकर लाए थे। मुख्य मंडप में भगवान शिव के साथ-साथ पार्वती, नंदी और गणेश की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। एक अन्य मंडप में धूना है और मंदिर परिसर में राम, हनुमान और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी विराजमान हैं। भक्तों का मानना है कि मंगलेश्वर महादेव की पूजा करने से भोलेनाथ हर मनोकामना पूरी करते हैं। सावन में यहाँ साँपों के दर्शन एक चमत्कारी अनुभव माना जाता है, जिससे भक्तों की आस्था और बढ़ जाती है।
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