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जोधपुर के स्वास्थ्य केंद्र में बड़ा खुलासा: आशा वर्कर ने लगाया आरोप — “मृत बच्चों के नाम से लगाए जा रहे हैं टीके”

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राजस्थान के जोधपुर जिले से स्वास्थ्य विभाग पर गंभीर सवाल उठाने वाली चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। एक आशा वर्कर (ASHA Worker) ने आरोप लगाया है कि स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में मृत बच्चों के नाम पर टीकाकरण दर्ज किया जा रहा है। इस खुलासे ने जिले के चिकित्सा प्रशासन में हड़कंप मचा दिया है।

⚠️ मृत बच्चों के नाम पर टीकाकरण का आरोप

मिली जानकारी के अनुसार, यह मामला जोधपुर जिले के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) से जुड़ा हुआ है। आशा वर्कर ने खुलासा किया कि कुछ स्वास्थ्यकर्मी सिस्टम में मृत बच्चों के नाम पर टीकाकरण दर्ज कर रहे हैं, ताकि सरकारी रिकॉर्ड में टीकाकरण लक्ष्य पूरा दिखाया जा सके।
आशा वर्कर के मुताबिक, यह सब कुछ “टीकाकरण प्रतिशत बढ़ाने” और “उच्च अधिकारियों से प्रशंसा पाने” के दबाव में किया जा रहा है।

🗣️ आशा वर्कर का बयान

आशा वर्कर ने बताया, “हमारे इलाके में जिन बच्चों की मौत हो चुकी है, उनके नाम पर भी सिस्टम में टीका चढ़ा दिया जा रहा है। जब हमने विरोध किया, तो कहा गया कि डेटा पूरा करना जरूरी है। यह न केवल गलत है, बल्कि अनैतिक भी है।”
उसने आगे कहा कि यह प्रथा कुछ महीनों से चल रही है और कई बार अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

🏥 स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप

जैसे ही यह मामला सामने आया, जोधपुर के स्वास्थ्य विभाग में हलचल मच गई। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) ने तुरंत मामले की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि आरोप गंभीर हैं और यदि यह साबित हुआ तो जिम्मेदार कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

📋 जांच टीम गठित

सीएमएचओ कार्यालय ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है, जो संबंधित केंद्र के टीकाकरण रिकॉर्ड, बच्चों की जन्म-मृत्यु रजिस्टर और ऑनलाइन डेटा की तुलना करेगी। प्रारंभिक रिपोर्ट अगले 48 घंटों में मांगी गई है।
सूत्रों के अनुसार, विभाग यह भी जांच कर रहा है कि क्या यह गड़बड़ी केवल एक केंद्र तक सीमित है या अन्य इलाकों में भी ऐसा हो रहा है।

⚖️ डेटा में हेराफेरी का संदेह

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही है बल्कि राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है। इस तरह की फर्जी प्रविष्टियां सरकारी आंकड़ों को गलत दिशा में प्रस्तुत करती हैं।

🧒 ग्रामीणों में भी बढ़ा आक्रोश

ग्रामीणों का कहना है कि अगर मृत बच्चों के नाम पर टीके लगाए जा रहे हैं, तो यह मानवीय संवेदना के साथ खिलवाड़ है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से पारदर्शी जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

🗣️ अधिकारियों का कहना है

सीएमएचओ ने कहा, “हमें शिकायत मिली है। मामले की जांच चल रही है। यदि किसी भी स्तर पर गड़बड़ी पाई जाती है तो संबंधित स्वास्थ्यकर्मियों को निलंबित किया जाएगा।”

जोधपुर में स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता को लेकर यह मामला अब राज्य स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। अगर जांच में आरोप सही पाए गए, तो यह राजस्थान के सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।

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