जोधपुर शहर की रातें कितनी सुरक्षित हैं? क्या वाकई पुलिस गश्त होती है या सिर्फ फाइलों तक सीमित है? इन सवालों के जवाब खुद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली के मॉनिटर बालकृष्ण गोयल ने जोधपुर की सड़कों पर तलाशे तो नतीजे चौंकाने वाले आए। गोयल बिना किसी पूर्व सूचना के रात 11 से 12 बजे के बीच निरीक्षण के लिए निकले तो पाया कि शहर में पुलिस की मौजूदगी लगभग शून्य थी। मंगलवार को उन्होंने जिला कलक्टर व विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ मारवाड़ इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित बैठक में इस मुद्दे पर कड़ी नाराजगी जताई।
उन्होंने साफ कहा कि शहर की रात्रि सुरक्षा व्यवस्था बेहद कमजोर है। इस दौरान कोई अपराध हुआ तो कौन जिम्मेदार होगा? मानवाधिकार आयोग ने मुंदियाड़ करंट हादसे को लेकर नागौर कलक्टर, एसपी, डिस्कॉम एसई व खींवसर एसडीएम से जवाब मांगा। बैठक में जब पुलिस अधिकारियों ने कहा कि 12 बजे के बाद गश्त शुरू होती है तो गोयल भड़क गए। उन्होंने निर्देश दिए कि पुलिस वाहन रात को सायरन बजाते हुए सड़कों पर दौड़ें, ताकि अपराधियों में डर बना रहे। उन्होंने रात्रि ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों के रोस्टर की जानकारी सार्वजनिक नहीं करने पर भी नाराजगी जताई।
गोयल ने कहा कि अगर पुलिस अधिकारी अपने-अपने ग्रुप में मोबाइल नंबर और ड्यूटी रोस्टर डाल देंगे तो आम जनता को कैसे पता चलेगा? आम नागरिक रात में पुलिस से कैसे संपर्क करेगा? खास बात यह रही कि इस महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक में दोनों जिलों के डीसीपी मौजूद नहीं थे, जिस पर गोयल ने नाराजगी जताई।
महिला सुरक्षा से लेकर वरिष्ठ नागरिक कल्याण तक के सुझाव
समीक्षा बैठक में गोयल ने थानों में महिला कक्ष खोलने और सरकारी कार्यालयों में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए महिला समितियां बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने पाया कि कोविड काल के जागरूकता नारे और योजनाएं अभी भी कई विभागों में लटकी हुई हैं, जिन्हें अपडेट नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान चुनौतियों और योजनाओं के अनुरूप नारे और जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने पेंशन पाने में बुजुर्गों को आ रही समस्याओं पर भी चिंता जताई। उन्होंने समाज कल्याण विभाग को व्यवस्था को सरल और जवाबदेह बनाने के निर्देश दिए, ताकि बुजुर्गों को पेंशन पाने में किसी तरह की असुविधा न हो।
राशन वितरण प्रणाली पर उठाए सवाल
गोयल ने रसद विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राशन की दुकानों पर गेहूं की गुणवत्ता बहुत खराब है, उसमें बहुत कचरा है और इलेक्ट्रॉनिक तराजू भी नहीं हैं। उन्होंने राशन डीलरों को उपभोक्ताओं से बेहतर व्यवहार करने के निर्देश दिए। गोयल ने कहा कि अगर स्टॉक नहीं है तो उपभोक्ता को सम्मानजनक जवाब दें और उसके साथ अभद्र व्यवहार न करें।
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