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आजीवन कारावास से दंडित 156 कैदी स्वतंत्रता दिवस पर एमपी जेलों से होंगे रिहा

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भोपाल । मध्य प्रदेश शासन, जेल विभाग की रिहाई नीति 27 मई 2025 के तहत आजीवन कारावास से दंडित बंदियों को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सजा में विशेष माफी प्रदान की जा रही है। इस साल स्वतंत्रता दिवस पर 15 अगस्त को राज्य शासन द्वारा मध्य प्रदेश की विभिन्न जैली से आजीवन कारावास के 156 दंडित कैदी रिहा किए जाएंगे। इनमें 06 महिलाएं भी शामिल हैं।

उपजेल जावद के सहायक अधीक्षक अंशुल गर्ग ने गुरुवार को जानकारी देते हुए बताया कि रिहाई नीति के अंतर्गत आजीवन कारावास से दंडित बंदियों में बलात्कार, पाक्सी आदि प्रकरण वाले दंडित बंदियों को किसी भी प्रकार की माफी प्रदान नहीं की गई है। रिहा किए जा रहे बंदियों को जेल में निरुद्ध रहने के दौरान उनके पुनर्वास हेतु उन्हें टेलरिंग, कारपेन्ट्री, लौहारी, भवन मिस्त्री, भवन सामग्री निर्माण आदि का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, जिससे रिहा होने के पश्चात वह अपनी जीवकोपार्जन के साधन अर्जित कर सकें।

इस साल स्वतंत्रता दिवस पर विभिन्न जेलों से 156 कैदियों को रिहा किया जा रहा है। इनमें उज्जैन के केंद्रीय जेल से 14, सतना के केंद्रीय जेल से 17, केंद्रीय जेल नर्मदापुरम से 11, केंद्रीय जेल बडवानी से तीन, केंद्रीय जेल ग्वालियर से 16, केंद्रीय जेल जबलपुर से 14, केंद्रीय जेल रीवा से 19, केंद्रीय जेल सागर से 14, केंद्रीय जेल नरसिहपुर से छह, केंद्रीय जेल इंदौर से 10, केंद्रीय जेल भोपाल से 25, जिला जेल देवास से एक, जिला जेल टीकमगढ़ से दो, जिला जेल इंदौर से दो, सब जेल पवई से एक और सब जेल बण्डा से एक बंदी शामिल है।

पुलिस महानिदेशक (जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं) डॉ. वरुण कपूर ने रिहा होने वाले बंदियों से उन्हें पुनः अपराध नहीं करने की अपील की है, साथ ही उनसे अपेक्षा की है कि वह जेल में परिस्ट्ध रहने के दौरान जी कौशल और प्रशिक्षण अर्जित किया है, उसका उपयोग अपने परिवार के जीविकोपार्जन एवं अच्छे समाज के नव-निर्माण में सहभागी बनने के लिए करेंगे।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश शासन की रिहाई नीति में आवश्यक संशोधन किया गया है। इसके मुताबिक अब आजीवन कारावास से दंडित बंदियों को वर्ष में पांच अवसरों पर रिहा किया जाता है। पूर्व में गणतंत्र दिवस, अंबेडकर जयंती, स्वतंत्रता दिवस एवं गांधी जयंती पर बंदी रिहा किये जाते थे, किन्तु अब राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस (15 नवम्बर) को भी आजीवन कारावास से दंडित बंदियों को पात्रतानुसार रिहा किया जाएगा।

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